‘पुत्र रत्न’ की प्राप्ति के खबर के बाति पुरान हो गइल। अब नया दौर में ‘पिता रत्न’ की प्राप्ति के चलन बा। शर्मा लमहर लड़ाई जीत लिहलें। उनके बहुते बधाई। अदालत सावित कù दिहलसि की ‘तिवारी’ ही शर्मा के बाबुजी हवें। महतारी के दामन उज्ज्वल हो गइल। उनकी लड़िका के पिता रत्न के प्राप्ति हो गइल। मगन होके मनबोध मास्टर सोहर गावे लगलें- ‘जुग जुग जीयù तू ललनवां, भवनवां के भागि जागल हो। करि लिहल आपन मुंह उजियार, तिवारी के करिखा लागल हो .।’ मस्टराइन कहली- सोहर त लक्ष्का भइला पर गावल जाला, बाप भइला पर का गावत हई ? शर्मा के पिता रत्न तù एगो नमूना ह। राजनीति की गलियारा में तमाम अइसन पिता लोग अबहिन सांड-भैंसा अइसन घूमत हवें। जेइसे ‘जियता बाछा’ के जवरिया ढाहि के कूट दिहल जाला, ओइसने कुछ उनका साथे कइला के जरूरत बा। केतने माता लोग अपनी संतान के बाप के नाम दिलवावे खातिर संघर्ष करत हई। चित्रकूट की घाट पर कवो संतन के भीड़ जुटत रहे। तुलसीदास चंदन घिसत रहें। रघुबीर जी तिलक लगावत रहलें। येह घरी ओह घाट पर लंठन के भीड़ होत बा। चित्रकूट की पवित्र धरती पर कमला नाम की एगो नारी के अस्मत लूटि के ओकरा कोख में आपन अंश पलवावे वाला दद्दू के दबंगई आ दादागिरी की प्रवृति ओह महतारी की संतान के पिता रत्न से वंचित कù दिहलसि। दद्दू बसपा सरकार में मंत्री रहलें। बहुजन के ही ‘दुरजन’ पुरुषोत्तम शीलू नाम की एगो नाबालिग के शील भंग कù दिहलन। अब जेल में मजा मारत हवें। कवियित्री मधुमिता जब कोख में पल रहल बच्चा खातिर पिता रत्न के मांग कइली, तù जान से गइली। अइसन बहुत उदाहरण खद्दरधारी जमात से मिली। गोरखपुर रेलवे प्लेटफार्म पर तीन लक्ष्का। नाम- प्रिंस, कुमार आ गोलू..। उम्र- क्रमश: 10,11, 12 बरिस। निवास- फुट ओवरब्रिज के नीचे के कोन्हाड़ी। काम-रेलवे ट्रैक से प्लास्टिक के खाली बोतल बिन के फिर पानी भरके ट्रेन में बेचल। पिता रत्न के महरूम। लावारिस। बहुत पता कइला पर बस इहे जानकारी मिलल कि अंहरी के लक्ष्का, पगली के लक्ष्का,भिखमंगिनियां के लक्ष्का। अइसने बहुत उदाहरण रउरो के मिल जाई। ‘तिवारी जी’ के मौसिआउत भाई लोग आपन पाप उत्पन्न कù दिहलें लेकिन बाप बनला में परहेज कù गइले।इ समाज के एगो बिद्रुप चेहरा ह। येही चेहरा में कई पिता रत्न हवें। काश! हर लावारिस लक्ष्कन के पिता रत्न के प्राप्ति हो जाइत। कानूनी वारिस मिल जइतन। लेकिन इ असंभव बा, काहें कि हर लावारिस लक्ष्का रोहित अइसन जंग ना लड़ सकेलन। चार लाइन के कविता देखीं केतना सधत बा
प्िाता रत्न की प्राप्ति पर, बधाई हो बधाई।
मुहब्बत से अदावत तक, वफा से बेवफाई।।
‘ तिवारी’ तो बस नमूना हैं, गली कूंचे में मौसरे भाई।
पिता का नाम अज्ञात, पुत्र ले भटक रही माई।।