सोमवार, 11 जुलाई 2011

बकरे का भाग्य



कोई मरता है तो कफ़न भी नसीब नहीं होता .देवरिया में एक बकरे का ऐसा भाग्य की ३३ किलोमीटर की शवयात्रा निकली और देवरिया के  रामपुर चंद्रभान से बरहज तक गूंजा <राम नाम सत्य है >.उसे बरहज के सरयू तट पर वैदिक मंत्रों के साथ  जल समाधी दी  गयी .मामला रामपुर कारखाना के गांव रामपुर चंद्रभान का है।
 नि:संतान दंपति गोबरी का अति प्रिय बकरा बालमती बीमारी के बाद रविवार को मर गया। । वे उसे 22 साल से पाले हुए थे। बकरे से उनका बेटे जैसा लगाव था। उन्होंने उसका बीमा करा रखा था। यह दृश्य देखने बहुत लोग जुटे थे। आमतौर पर लोग बकरा- बकरी या तो व्यवसाय के लिए पालते है या फिर उसका मांस खाने के लिए। पर गोबरी का प्रेम अद्भुत था। उसने बकरा पालकर औलाद न होने का गम कम कर लिया था। उसके लिए अलग बिस्तर, बेहतर चारा का इंतजाम था। बकरा भी दंपति के हर संकेत समझता था। उसका 50,000 का बीमा भी करा रखा था। पर 22 वर्षों का यह साथ रविवार को छूट गया। उन्होंने ट्रैक्टर ट्राली पर बैंड बाजे के साथ उसकी शव यात्रा निकाली और नदी में प्रवाहित कर दिया। इस अद्भुत दृश्य को देखने श्मशान घाट पर भीड़ जुट गई थी। कोई इसे पुनर्जन्म के रिश्ते से जोड़ रहा था तो कोई गोबरी के पशु प्रेम की तारीफ करते नहीं अघा रहा था। बातचीत में दुखी गोबरी ने बताया भी कि बालमती (बकरे का यही नाम रखा था) उसके लिए बेटे के समान था। 16 दिन बाद वह उसका ब्रह्मभोज कराएगा। बताया जा रहा है की बकरे का 50 हजार का बीमा था .वह अब गोबरी को मिलेगा . गोबरी का कहना है की मांसाहार पाप है .
- नर्वदेश्वर पाण्डेय , रास्ट्रीय सहारा , गोरखपुर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपन विचार लिखी..

हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद