मंगलवार, 9 जुलाई 2019

मेहरी की सीट पर सवार हवें राजा - एन डी देहाती





देश के खाता, देश के बही

देश क खाता, देश क बही! मोदी कहें उहे सही

*पांडे एन डी देहाती* /भोजपुरी व्यंग्य
अदरा के बदरा बरसल। किसानन के तरसत नयन जुड़ा गईल। एही बीचे देश के बजट भी आ गईल। सब अपनी अपनी हिसाब से बजट पर प्रतिक्रिया दिहलन। हम कहलिन-देश क खाता, देश क बही! मोदी कहें उहे सही। बहुमत में दूसरी बेर सत्ता में अईलें मोदी आ देश के पहिला महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण निर्मल मन से आम बजट पेश कइलन। आम बजट आईल लेकिन आम सस्ता ना भईल। जब कम कमाइल जाई आ अधिका खर्चा कईल जाई त कईसे काम चली। देश में जब जब गरीब मनई के कल्याण के योजना आवेला, बिचौलिया आ दलाल मजा उड़ावेला। सरकार चोरी रोकेले, चोर रास्ता निकार लेंले। मोदी जी जी जब पहिला बेर सिंहासन पवलें , हाथ में झाड़ू उठवलें। स्वच्छता के अभियान चलवलें। घर घर शौचालय खातिर योजना बनल। ओडीएफ में गॉव चयन भईल। लाभार्थी की खाता में सीधे धन भेजला के व्यवस्था भईल। अब रउरे बताईं लिस्ट में ओकरे नाम न आई जेकरे हाथ से प्रधान जी कुछ दान दक्षिना एडवांस में पाइब। शौचालय केईसहूं बन जाय त बन जाय, आदत कईसे सुधरी। बाहरा शौच करे वालन के सिटी बजावल गईल, टार्च जरावल गईल। उ त लजाते न हवें। उनकर खुलासा दस्त सड़क की किनारे आ मेड़ पर ही उतरेला। येह में मोदी के कवन दोष बा। भरोसा की कसौटी पर रउरो खरा उतरीं तब मोदी पर अंगुरी उठाईं। भारत आर्थिक महाशक्ति बने वाला देश की कतार में बा आ रउरा कर चोराईब, टैक्स बचाईब त देश आगे कैसे बढ़ी। देश में पीएम आवास योजना में 24 लाख मकान बंटा गईल। कई जने के मकान भाड़ा पर उठा के अपने सड़क की किनारे झोपडी डाल के रहत हवें, येह में मोदी के कवन दोष। आयुष्मान भारत योजना में गरीब मनई के मुफ़्त इलाज के व्यवस्था भईल। अस्पताल चलावे वालन के लाटरी निकल गईल। अब बगैर बेमारियों के कार्ड वालन के कमीशन देके फर्जी भर्ती, फर्जी इलाज होई त सरकार का करी।
बजट में गॉव, गरीब, किसान, मजदूर खातिर बहुत व्यवस्था भईल। जब हम्मन के विचार ना बदली त येह अवस्था में व्यवस्था क दोष बेईमानी बा। सरकार की आम बजट में आम मनई के चिंता बा, आ आम मनई का सस्ता आम चाहीं। अरे भईया! सोच बदलीं। अपने बदलीं। देश बदल जाई। अपने ईमानदार होईं, देश से भ्रष्टाचार मेट जाई।
बजट बनवली निर्मल मन से, निर्मला मैम सुनाय।
अमित शाह आ नरेंद्र मोदी, ताली खूब बजाय।।
अर्थ धुरन्धर अर्थ लगावें, व्यर्थ में पीटे माथ।
कहें देहाती, खड़ा हो जाईं, रउरा देश की साथ।।

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