बुधवार, 10 नवंबर 2021

भोजपुरी व्यंग्य : एन डी देहाती 7 नवम्बर 21

चिउंटी मरलसि बाघ के,पिछला टांग उठाय

भोजपुरी व्यंग्य-पांडे एन डी देहाती

 मनबोध मास्टर का गर्व बा अपनी धर्म पर। गर्व बा अपनी कर्म पर। आज ले सब इहे जानल जात रहे कि अपना देश मे चार दिशा में चार गो पीठ , आदि शंकराचार्य जी स्थापित कईलें। ई चारो धाम कहाइल। पूरब में जगन्नाथ पुरी, पश्चिम में द्वारिका पुरी। उत्तर में वदरीनाथ धाम दखिन में रामेश्वर। आदि शंकराचार्य जी येही चार गो पीठ के स्थापना कईलें। देश की चारों दिशा में फइलल अलग -अलग संस्कृति के जोड़े के अद्भुद प्रयास रहे। ई चारो धाम रहे। ई चारो तीर्थ रहे। जे चारो धाम के यात्रा क ले, उ आपन जीवन सफल मानत रहे। बाद में और धार्मिक स्थल बढ़ल। अब त खाली उत्तराखंड जइसन ऐके प्रांत में चार धाम बतावल जाता। वदरीनाथ धाम की साथ-साथ केदारनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार के भी महत्व बढ़ल। 
तीर्थाटन में व्यवसाय घुसल, साथ मे राजनीति भी समाईल। अब -आन क मैदा, आन क घी, शंख बजावें बाबा जी। पुण्य कमाये के लालसा कम, पैसा कमाए के लालसा ज्यादा हो गइल। वोट बटोरला के धंधा भी कम नइखे। तीर्थ के भाव कम, पर्यटन केंद्र ज्यादा हो गइल। खबर, बेचैन करे वाला चैनल में समा गईलें। शुक के मोदी जी केदारनाथ से लाइव रहलें। देश देखल, दुनिया देखल। 
एगो बुद्धू बक्शा में बइठल एंकर, मोदी जी के कहल बात लोकावत रहे। उ बेर बेर केदारनाथ के स्थापना में आदिशंकराचार्य के जोड़त रहे। ओकरा एतनो ज्ञान ना रहल कि केदारनाथ देश की प्रसिद्ध द्वादस ज्योतिर्लिंग में एगो ह। केदारनाथ पहिले भईल। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ह। बदरी धाम बाद में पड़ेला। बद्रीधाम के आदि शंकराचार्य जी स्थापित कइलीं। बद्री धाम के यात्रा तब सफल होला जब केदारनाथ के दर्शन क के आगे बढ़ल जाला। अपना देश में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर ,ओंकारेश्वर,
केदारनाथ,भीमाशंकर, विश्वनाथ,त्र्यंबकेश्वर,  वैद्यनाथ  नागेश्वर, रामेश्वर और घृष्‍णेश्‍वर नाम से कुल 12 गो ज्योतिर्लिंग बा, जवना में केदारनाथ भी एगो ज्योतिर्लिंग ह। अल्पज्ञानी लोकई लोग अल्प ज्ञान की चलते भारत के धार्मिक महत्व भी ढंग से ना बता पावत बा। ई कुछ भी परोस देई लोग-

हाथी चढ़ि गईल पेड़ पर,बिनि-बिनि महुआ खाय ।
चिउंटी मरलसि बाघ के,पिछिला टांग उठाय।
थोड़ा कहें कबीरदास, ज्यादे कहें कविराय।
लोकई उहे लोकाय रहे, जेकरा जवने भाय।।

सोमवार, 1 नवंबर 2021

सुनामी एक्सप्रेस में आज छपी सम्पादकीय

बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद

पांडे एन डी देहाती

यूपी का सियासी मिजाज रोचक होता जा रहा। विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में सभी राजनीतिक दल लगे हैं। बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद शुरू है। प्रमुख विपक्षी दलों के अपने-अपने राग और अपनी- अपनी राय है। राजनीतिक द्वंद में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्द्वन्द हैं। उन्हें अपने किये गए विकास कार्यों पर भरोसा है। जनता का विश्वास भाजपा के साथ है। कुछ मंत्रियों की बेतुका बयानबाजी, कुछ विधायकों का जनता से दूरी के कारण भाजपा की कुछ सीटें प्रभावित होने की प्रबल सम्भावनाएं हैं। स्वच्छ व जनप्रिय सरकार के लिए योगी अपने ही कुछ सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं देंगे। नकारा व नखादा विधायकों में भले इस बात को लेकर बेचैनी हो लेकिन जनता के लिए सुकून भरी खबर है। भाजपा के फार्मूले के अनुसार यदि टिकट वितरण हुआ तो विधानसभा चुनाव-2022 में 100 से अधिक विधायक इस बार चुनाव से वंचित किये जायेंगे। उम्मीदवार बदल जाएंगे। योगी सरकार के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड लेकर भाजपा के लोग अब गांवों की ओर रुख कर लिए हैं। कई जगह भाजपा के लोग खदेड़े गए, लेकिन यह उनकी कार्यसंस्कृति के चलते हुआ। इसमें लोग सरकार ने नाराज नहीं, अपने प्रतिनिधि से नाराज दिखे। सरकार की लोकलुभावन घोषणाएं सामने आने लगीं हैं। प्रदेश सरकार 3 हजार करोड़ की निधि से 1 करोड़ युवाओं को स्मार्ट फोन और लैपटॉप देने की योजना लेकर आ रही है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिये युवाओं को भत्ता भी देगी। मुख्‍यमंत्री ने यह भी कहा  है कि सरकार निराश्रित महिलाओं के उत्‍थान के लिए भी जल्‍द योजना लेकर आ रही है।  भाजपा सरकार ने अपने शासनकाल में साढ़े चार लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। इन भर्तियों में पारदर्शिता और ईमानदारी बरती गई।
योगी के राज में अराजकता समाप्त हुई। गुंडे माफिया जेल गए। बड़ी संख्या में इनकाउंटर हुए। कानून का राज स्थापित हुआ। योगी की लोकप्रियता दोगुनी हुई। जनता का भरोसा चारगुना बढ़ा। इन सबके बावजूद कुछ तेलवाज अधिकारियों ,चापलूस नेताओं,मंत्रियों के बेतुके बयान और एक खास वर्ग के लोगों के सत्ता में बढ़ते वर्चस्व को भी जनता ने बहुत नजदीक से देखा। जिला पंचायत व प्रमुख के चुनावों में पार्टी का सिंबल देने में जो गड़बड़ी की गई उसका करारा जवाब भी जनता ने दिया। जीत के बाद बागी भी मुख्यधारा में जुड़ गए , यह एक अच्छी उपलब्धि हुई।बीच में कुछ ऐसे कांड भी हुए जिसमें विपक्ष को पूरा मौका मिला लेकिन योगी ने बहुत जल्द सब कंट्रोल कर लिया। कुल मिलाकर अभी भी जनता को योगी पर भरोसा है।
अब आईये, विपक्ष की भूमिका भी देख लें। यूपी में समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी है। सपा मुखिया योगी को सत्ता से बेदखल करने में लग गए हैं। यात्राओं का दौर शुरू है। घोषणाएं भी जारी हो रहीं हैं। सत्ता वापसी के प्रयास में लगे अखिलेश यादव कई तरह के आकर्षक वायदे पेश करने की तैयारी में है।  आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल ही नहीं, ममता बनर्जी के उस घोषणा पत्र को भी खंगाला जा रहा है। कुछ बेहतर करने की बातें की जा रहीं हैं। उनका नया नारा है, ‘नई हवा है नई सपा है बड़ों का हाथ, युवा का है साथ...काम ही बोलेगा-2022 में बीजेपी की पोल खोलेगा’...इस नारे के जरिए भी सपा आने वाले दिनों में भाजपा को घेरेगी। जमीनी स्तर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अन्य दलों की तुलना में ज्यादे संघर्षशील रहते हैं, अब भी हैं। सपा मुखिया अखिलेश की एक आवाज पर चाहे जेल भरो, चाहे रेल रोको सपा कार्यकर्ता पीछे हटने वाले नहीं हैं।
कांग्रेस में भी जान लौट रही है। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सत्ता में आने की कवायद हो रही। कांग्रेस अब घोषणा नहीं प्रतिज्ञा कर रही। कांग्रेस की प्रमुख प्रतिज्ञाओं में टिकट में महिलाओं की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी।  छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी।
किसानों का पूरा कर्जा माफ। 2500 में गेहूं धान, 400 पाएगा गन्ना किसान। बिजली बिल सबका हाफ, कोरोना काल का बकाया साफ। दूर करेंगे कोरोना की आर्थिक मार, परिवार को देंगे 25 हजार और 20 लाख को सरकारी रोजगार प्रमुख हैं। बहुजन समाज पार्टी ने भी कमर कस ली है। अमूमन घोषणा पत्र जारी न करने वाली मायावती इस बार घोषणा पत्र जारी करने की तैयारी में हैं।  मायावती ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि वो किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगी और 403 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी। इसके अलावा संजय सिंह, ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी जैसे लोग भी अपनी पार्टी के लिए जमीन तलाश रहे। गठबंधन तलाश रहे। कुल मिलाकर देखें तो बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद शुरू है। 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व समीक्षक हैं)

1 नवम्बर21 के वायश ऑफ शताब्दी की अंक में

नगर-डगर की बात/ एन डी देहाती

गोधन बाबा कूटल जइहें, रडुहन के तिलहरू अइहें

इ हफ्ता, तिहुयार के बहार रही। कातिक की अमौसा के घर -घर दीया बराई। लक्ष्मी जी के गोहरावल जाई। ओल के चोखा खाईल जाई। दूसरा दिन दलिद्दर खेदाई। सूपा बाजी। अगिला दिने गोधन बाबा कूटल जइहैं। रडुहन के लगन खुल जाई। बियाह कटवन के भी बहार आ जाई। गोधन के कुटला की बाद उनकी खानल-कूटल गोबर से पीडिया लागी। दुनिया से विदा भईल कलम-दवात खोजाई, चित्रगुप्त महाराज पूजल जइहैं। छठ माई पूजइहें। सालों-साल जवना जगह पर गंदगी भरल रहे, ओहूजा माई-बहिन लोग के आस्था के अर्घ्य से,अगरबत्ती की धुंआ से वातावरण पवित्र हो जाई। 
मनबोध मास्टर कहलन-लोक परम्परा में छठ ही एगो अईसन पर्व ह जवना में साक्षात देवता सूर्य के डुबलो पर पूजा आ बिहाने उगलो पर पूजा। चौहत्तर साल से
घर -घर सूपा त बाजल । का मन के दलिद्दर भागल? ईआ, बड़की माई, काकी, भौजी, बहुरिया और न जाने के के असो भी सूप बजइहैं। सबकर बस एकही इच्छा,दलिद्दर भाग जा। मतलब साफ बा बगैर शोर के कुछ न भागी। सीमा से दुश्मन। देश से गद्दार। गरीबी, कदाचार। सब भगावे खातिर सूप बजावे वाली परम्परा। शोर। आजादी से लेके अबतक खूब भोपू बाजल। हकीकत आप की सामने बा। केतना दलिद्दर भागल। भागे न भागे हमार काम भगावल ह। सबके जगावल ह। 
 धनतेरस की दिने से ही त्योहार के उत्साह शुरू । त्योहार हम्मन के संस्कृति ह। केतना सहेज के राखल बा। धनतेरस के एक ओर गहना-गुरिया, बर्तन- ओरतन, गाड़ी-घोड़ा किनला के होड़ त दूसरी ओर भगवान धन्वंतरि के अराधना- जीवेम शरदं शतम् के अपेक्षा। प्रकाश पर्व पर दीया बारि के घर के कोने-अंतरा से भी अंधकार भगा दिहल गइल। जग प्रकाशित भइल। मन के भीतर झांक के देखला के जरूरत बा, केतना अंजोर बा? ये अंजोर से पास- पड़ोस, गांव-जवार, देश-काल में केतना अंजोर बिखेरल गइल? दलिद्दर खेदला के परंपरा निभावल गइल। घर की कोना-कोना में सूपा बजाके दलिद्दर भगावल गइल लेकिन मन में बइठल दलिद्दर भागल? दुनिया की पाप-पुन्य के लेखा-जोखा राखे वाला चित्रगुप्त महराज पूजल गइलें। बहुत सहेज के रखल गइल दुर्लभ कलम-दावात के दर्शन से मन प्रसन्न हो गइल। अपनी कर्म के लेखा-जोखा जे ना राखल ओकरी पूजा से चित्रगुप्त महराज केतना प्रसन्न होइहन?  छठ माई के घाट अगर साल के तीन सौ पैंसठों दिन एतने स्वच्छ रहित त केतना सुन्नर रहित। पर्व-त्योहार के जड़ हमरी संस्कृति में बहुत गहिर ले समाइल बा। ओके और मजबूत बनावला के जरूरत बा। संकल्प लिहला के जरूरत बा की फिजुलखर्ची में कटौती क के ओह धन से कवनो जरूरतमंद के सहयोग क दिहल जा। अइसन हो जाय त त्योहारन के सार्थकता और बढ़ जात। खूब खुशी मनावल जा, लेकिन केहू के दुख ना पहुंचे येह पर ध्यान दिहला के जरूरत बा। खूब सूप बाजो। अब मौसम आवत बा, साढ़े साल से लुकाईल जीव बाहर निकरल हवें। विकास के बाजा बजावत जब रउरी गाँव-नगर में लउके त जे बढ़िया काम कईलें होई ओकर स्वागत करीं। जे खराब कईलें उनकी कपार पर सूपा बजा दीं।
 
गोधन बाबा कूटल जइहें, रडुहन के तिलहरू अइहें।
केतनो महंगी मरले बाटे, फिर भी लक्ष्मी पूजल जइहें।।
तरह-तरह के फल किनाई, घाट-घाट प्रसाद बटाई।
भुजा मिलौनी के परम्परा से, ऊंच-नीच के खाई पटइहें।।
हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद