कुबेर, यम व धन्वंतरि के पूजन की त्रयोदशी
कात्तिर्क कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी तीन देवों के पूजन की तिथि। आज के दिन धन के देवता कुबेर , मृत्यु के देवता यमराज व सेहत के देवता धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। इस वर्ष यह महापर्व 24 अक्टूबर को पड़ रहा है। कात्तिर्क कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पारंपरिक रूप से धनतेरस कहा जाता है। इस तिथि का महत्व इस लिए है कि आज ही के दिन देवताओं के वैद्य ऋषि धन्वंतरिअमृत कलश के साथ सागर मंथन से प्रकट हुए थे। तभी से इस तिथि को धन्वंतरि जयंती मनायी जाती है। सेहत के देवता को विशेष रूप से वैद्य-हकीम मनाते हैं। स्वस्थ्य सेहत और निरोग काया की इच्छा भला किसमें नहीं होती। इस लिए भी धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस धरती पर धन की इच्छा भला किसमें नहीं होती। कहा गया है अर्थ बिना दुनिया व्यर्थ। कुबेर धन के देवता हैं। धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा के लिए दीप दान करते हैं। यह कामना करते हैं कि मेरे घर में धन की वष्रा हो। इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा है । इसके पीछे यह कारण बताया जाता है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक है। यह शीतलता भी प्रदान करता है। मान्यता है कि चांदी खरीदने से संतोष रूपी धन का भी हृदय में वास होता है। त्रयोदशी के दिन यम की भी पूजा की जाती है। इस पूजन में घर से दक्षिण दिशा में यम का दीप(जम्हु के दीया)जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि यम दीप जलाने से घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती। इस संबंध में एक लोक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि किसी समय में हेम नाम के एक राजा हुए। उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योतिषियों ने राजकुमार की कुंडली देखकर बताया कि जब इसका विवाह होगा तो चार दिन बाद मृत्यु हो जायेगी। राजा ने राजकुमार को ऐसी जगह भेजवा दिया जहां किसी स्त्री की परछायीं भी राजकुमार को देखने को न मिले। दैव योग से जहां राजकुमार रहता था, एक दिन उधर से एक राजकुमारी आ गई। दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये। राजकुमार ने उसके साथ गंधर्व विवाह कर लिया। विवाह के चार दिन बाद ही यम के दूत उसके प्राण हरने पहुंच गये। नवविवाहिता विलाप करने लगी। उसके करुण कंद्रन से एक यमदूत भावुक हो गया। उसने हिम्मत करके यमराज से कहा कि क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है कि किसी की अकाल मृत्यु न हो। यमदूत के बिनीत भाव को सुनकर यमराज ने कहा कि कात्तिर्क कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जिस परिवार में मेरे नाम की दीपमाला दक्षिण दिशा को जलेगी उसके घर किसी की अकाल मृत्यु नहीं होगी। कहा जाता है कि उस दिन भी त्रयोदशी थी, जिस दिन यमदूत राजकुमार के प्राण हरने गये थे। यम दूत के बताने के अनुसार नवविवाहिता ने यम दीप जलाया और यमराज की आज्ञा से उसके प्राण छोड़ दिये। कात्तिर्क कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यम, कुबेर व धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन चांदी के अलावा बर्तन भी खरीदने की परंपरा है।
नर्वदेश्वर पांडेय देहाती का यह लेख राष्ट्रीय सहारा में २४ -१०-११ को प्रकाशित है .