बुधवार, 1 सितंबर 2021

28 अगस्त 21 वायश आफ शताब्दी में छपा लेख

नगर -डगर की बात/एन डी देहाती

जेकर राज - ओकर चेरी, इ पुलिस ह सबके पेरी

मनबोध मास्टर बड़ा दुखित हवें। लखनऊ में एगो जबरिया रिटायर साहेब जी के अईसे पुलिस वाला टाँगत हवें,जेईसे कवनो खूंखार तालिबानी आतंकी धरा गइल होखे। साहेब जी बहुत फड़फड़ईले, हाथ- लात- जबान चलावते रहि गईलें। बिना कारण बतवले, बगैर वारंट देखवले पुलिस टांग ले गइल। अब मास्टर के कईसे समझावल जा-भईया ई पुलिस ह। जेकर राज रहेला, ओकर चाकरी करे लें। कबो देखले होखब जा अकिलेश बाबू की पनही पर हाथ धइले जमीन पर बइठल पुलिस अधिकारी के फोटू। ई बारी- बारी सबके सेवा करेले। बारी-बारी सबके पेरेलें भी। जेके पुलिस टांग ले गइल, उहो अपनी समय में बहुतन के टंगववले होइहन। पुलिस त टाँगहि खातिर बनल बा। सत्ता के सबसे बड़वर सेवादार पुलिस ही ह। कबो आजम चाचा के भईस खोजे खातिर जिला भर के पुलिस लाग जाई, त कबो उनकर गेट गिरावे में। पुलिस के देख के अलग अलग प्रकार के लोग के दिल दिमाग में अलग -अलग छवि बनेला। जेईसे भय‚  विस्मय‚ शोक‚  हास‚  जुगुप्सा‚  घृणा, गर्व....। गनीमत बा ईमानदार कहाए वाला सरकार के वफादार पुलिस रहल, नाहीं त कट्टा, गांजा से लेके का-का बरामद हो गइल रहित। नैनी आ बांदा जेल की 16 नम्बर बैरिक से आईजी साहब के कनेक्शन जोड़के एगो गैंग बना के गैंगस्टर लाग जात। आ ओकरा बाद त सबका पते बा घरवा पर बुलडोजर चल जात। नजरिया आपन-आपन बा। पूरा प्रदेश में इहे एगो नाखाद्दा अधिकारी रहलें जेके जबरिया रिटायर कईल गइल। बाकी त सब दूध के धोअल आ गंगाजल से  खँगारल लोग बा। एहीसे कहल जाला- जेके पियवा माने, उहे सुहागिन। साहेब जी नोकरी में रहलें तब खुरपेच। कबो नेता जी पर केस, कबो दूसरा के हिसाब। रिटायर भईला की बादो चैन ना। पार्टी बनावत रहलें, चुनाव लड़े जात रहलें। जवना नेता पर बलात्कार के रिपोर्ट भईल ओके त जनता जिता दिहलसि। उ नैनी जेल में मजा उड़ावत हवें। सवाल इहो बा कि जवना मामिला में जबरिया रिटायर वाला साहेब पर आत्महत्या खातिर उकसावला के आरोप लगल उ बहुत जल्दिये जांच में प्रमाणित निकर गइल। आ देश मे बहुत जांच बा जवन बस्ता में सड़त बा। कुल मिलाके निशाने पर हवें साहब जी। अब चार लाइन की कविता में सब अर्थ छिपल बा-

जेकर राज-ओकर चेरी, इ पुलिस ह सबके पेरी।
समय की साथे इ बदलले, आज तोहें, कल उनके हेरी।
कहें देहाती समयचक्र ह, चलत रही इ हेराफेरी।
गलती में जे-जे पकड़ाई, ओही के न पुलिस भी घेरी।।

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