सोमवार, 20 सितंबर 2021

20 सितम्बर 21 के वायश आफ शताब्दी में प्रकाशित हमारा भोजपुरी व्यंग्य

नगर-डगर की बात/ एन डी देहाती

...दुख ना बूझें, कठकरेजी सरकार बा


मनबोध मास्टर कहलन कि 17 सितम्बर 21 के दिन बड़ा महान बा। विश्वकर्मा जयंती आ मोदी जी के जन्मदिन के जानत जहान बा। एगो आदि शिल्पी देवता आ दुसरका राजनीतिक शिल्पी। दुनों के दण्डवत करत हम तिसरका महत्व बतावत हईं। आजु भादो के महीना, अंजोरिया के रात, एकादशी के बरत।   आजु के एकादशी भी बड़ा खास बा। आजु की एकादशी के चार-चार गो नाम बा। कहीं जलझुलनी एकादशी, कहीं पदमा एकादशी, कहीं दोल ग्यारस आ कहीं परिवर्तनी एकादशी की नाम से मशहूर भादो अजोरी के एकादशी के महिमा महान बा। कहल जाला कि आजुवे की दिन शेष शैय्या पर सुतल विष्णु भगवान करवट लेले रहलें। आजुवे की दिन त्रेता में बावन रूप भगवान बलि राजा के छल से तीन डेग जमीन दान में मंगला की बहाने ओकर पीठ ले नाप के पाताल के राजा बना दिहलें। आजुये की दिन मईया यशोदा कन्हैया के पहिला बेर कपड़ा फिंचले रहली। ई त रहल पौराणिक प्रमाण। अब घनघोर कलयुग में सन 21 की सितम्बर में जवन घनघोर पानी सबके बोर देले बा,ओहू के कारण बा। इंद्र भगवान येह राज काज से बड़ा खुश बाड़न। एतना पानी ठेल देले बाड़न कि गावँन के नदी-नाला-पोखरा के बात छोड़ीं, बड़े -बड़े शहरियों में पंवरे भर के पानी बा। जीया-जंतु, गोरु-बछरू क के कहे , मनई की जान पर आफत बा। सुखरख में करोना मुएलसि आ दहतर में पानी। घर के घर गिर गइल। बहुते जने मर गईलें। अस्पताल में लईकन के बोखार वाला अईसन नवका बेमारी आइल बा कि ना बेड मिलत बा ना दवाई। सरकार व्यवस्था कम, गाल ज्यादा बजावत बा। जलझुलनी के जल झुल$ता। प्रकृति की प्रलय की बीचे मोदी की जन्मदिन के जश्न मनत बा। जेकरा हाथे जोर,ओकरा खातिर बटोर। बात त हम कहब फरीछा, चाहे मीठा लागी चाहे मरीचा। कहीं मोदी के जय, कहीं भगवान विश्वकर्मा के जय। यह जय की लय में पानी के प्रलय। अपना यूपी में पचासन मर गईलें। रेल, बस, हवाई सेवा प्रभावित भईल। इंद्र के कोप जारी बा। जन्मदिन के जयकार भी जारी बा। आईं एगो चार लाइन की कविता में समझीं-
पचासन जने के जान गईल, पानी -प्रलय प्रहार बा।
अस्पताल में बेड दुलम बा, लईकन का भईल बोखार बा।
ओने जन्मदिन की जश्न में डूबल, नगर-शहर जवार बा।
कहें देहाती दुख ना बुझे, कठकरेजी सरकार बा।।

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