चिउंटी मरलसि बाघ के,पिछला टांग उठाय
भोजपुरी व्यंग्य-पांडे एन डी देहाती
मनबोध मास्टर का गर्व बा अपनी धर्म पर। गर्व बा अपनी कर्म पर। आज ले सब इहे जानल जात रहे कि अपना देश मे चार दिशा में चार गो पीठ , आदि शंकराचार्य जी स्थापित कईलें। ई चारो धाम कहाइल। पूरब में जगन्नाथ पुरी, पश्चिम में द्वारिका पुरी। उत्तर में वदरीनाथ धाम दखिन में रामेश्वर। आदि शंकराचार्य जी येही चार गो पीठ के स्थापना कईलें। देश की चारों दिशा में फइलल अलग -अलग संस्कृति के जोड़े के अद्भुद प्रयास रहे। ई चारो धाम रहे। ई चारो तीर्थ रहे। जे चारो धाम के यात्रा क ले, उ आपन जीवन सफल मानत रहे। बाद में और धार्मिक स्थल बढ़ल। अब त खाली उत्तराखंड जइसन ऐके प्रांत में चार धाम बतावल जाता। वदरीनाथ धाम की साथ-साथ केदारनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार के भी महत्व बढ़ल।
तीर्थाटन में व्यवसाय घुसल, साथ मे राजनीति भी समाईल। अब -आन क मैदा, आन क घी, शंख बजावें बाबा जी। पुण्य कमाये के लालसा कम, पैसा कमाए के लालसा ज्यादा हो गइल। वोट बटोरला के धंधा भी कम नइखे। तीर्थ के भाव कम, पर्यटन केंद्र ज्यादा हो गइल। खबर, बेचैन करे वाला चैनल में समा गईलें। शुक के मोदी जी केदारनाथ से लाइव रहलें। देश देखल, दुनिया देखल।
एगो बुद्धू बक्शा में बइठल एंकर, मोदी जी के कहल बात लोकावत रहे। उ बेर बेर केदारनाथ के स्थापना में आदिशंकराचार्य के जोड़त रहे। ओकरा एतनो ज्ञान ना रहल कि केदारनाथ देश की प्रसिद्ध द्वादस ज्योतिर्लिंग में एगो ह। केदारनाथ पहिले भईल। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ह। बदरी धाम बाद में पड़ेला। बद्रीधाम के आदि शंकराचार्य जी स्थापित कइलीं। बद्री धाम के यात्रा तब सफल होला जब केदारनाथ के दर्शन क के आगे बढ़ल जाला। अपना देश में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर ,ओंकारेश्वर,
केदारनाथ,भीमाशंकर, विश्वनाथ,त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ नागेश्वर, रामेश्वर और घृष्णेश्वर नाम से कुल 12 गो ज्योतिर्लिंग बा, जवना में केदारनाथ भी एगो ज्योतिर्लिंग ह। अल्पज्ञानी लोकई लोग अल्प ज्ञान की चलते भारत के धार्मिक महत्व भी ढंग से ना बता पावत बा। ई कुछ भी परोस देई लोग-
हाथी चढ़ि गईल पेड़ पर,बिनि-बिनि महुआ खाय ।
चिउंटी मरलसि बाघ के,पिछिला टांग उठाय।
थोड़ा कहें कबीरदास, ज्यादे कहें कविराय।