बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद
पांडे एन डी देहाती
यूपी का सियासी मिजाज रोचक होता जा रहा। विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में सभी राजनीतिक दल लगे हैं। बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद शुरू है। प्रमुख विपक्षी दलों के अपने-अपने राग और अपनी- अपनी राय है। राजनीतिक द्वंद में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्द्वन्द हैं। उन्हें अपने किये गए विकास कार्यों पर भरोसा है। जनता का विश्वास भाजपा के साथ है। कुछ मंत्रियों की बेतुका बयानबाजी, कुछ विधायकों का जनता से दूरी के कारण भाजपा की कुछ सीटें प्रभावित होने की प्रबल सम्भावनाएं हैं। स्वच्छ व जनप्रिय सरकार के लिए योगी अपने ही कुछ सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं देंगे। नकारा व नखादा विधायकों में भले इस बात को लेकर बेचैनी हो लेकिन जनता के लिए सुकून भरी खबर है। भाजपा के फार्मूले के अनुसार यदि टिकट वितरण हुआ तो विधानसभा चुनाव-2022 में 100 से अधिक विधायक इस बार चुनाव से वंचित किये जायेंगे। उम्मीदवार बदल जाएंगे। योगी सरकार के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड लेकर भाजपा के लोग अब गांवों की ओर रुख कर लिए हैं। कई जगह भाजपा के लोग खदेड़े गए, लेकिन यह उनकी कार्यसंस्कृति के चलते हुआ। इसमें लोग सरकार ने नाराज नहीं, अपने प्रतिनिधि से नाराज दिखे। सरकार की लोकलुभावन घोषणाएं सामने आने लगीं हैं। प्रदेश सरकार 3 हजार करोड़ की निधि से 1 करोड़ युवाओं को स्मार्ट फोन और लैपटॉप देने की योजना लेकर आ रही है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिये युवाओं को भत्ता भी देगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि सरकार निराश्रित महिलाओं के उत्थान के लिए भी जल्द योजना लेकर आ रही है। भाजपा सरकार ने अपने शासनकाल में साढ़े चार लाख सरकारी नौकरियां दी हैं। इन भर्तियों में पारदर्शिता और ईमानदारी बरती गई।
योगी के राज में अराजकता समाप्त हुई। गुंडे माफिया जेल गए। बड़ी संख्या में इनकाउंटर हुए। कानून का राज स्थापित हुआ। योगी की लोकप्रियता दोगुनी हुई। जनता का भरोसा चारगुना बढ़ा। इन सबके बावजूद कुछ तेलवाज अधिकारियों ,चापलूस नेताओं,मंत्रियों के बेतुके बयान और एक खास वर्ग के लोगों के सत्ता में बढ़ते वर्चस्व को भी जनता ने बहुत नजदीक से देखा। जिला पंचायत व प्रमुख के चुनावों में पार्टी का सिंबल देने में जो गड़बड़ी की गई उसका करारा जवाब भी जनता ने दिया। जीत के बाद बागी भी मुख्यधारा में जुड़ गए , यह एक अच्छी उपलब्धि हुई।बीच में कुछ ऐसे कांड भी हुए जिसमें विपक्ष को पूरा मौका मिला लेकिन योगी ने बहुत जल्द सब कंट्रोल कर लिया। कुल मिलाकर अभी भी जनता को योगी पर भरोसा है।
अब आईये, विपक्ष की भूमिका भी देख लें। यूपी में समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी है। सपा मुखिया योगी को सत्ता से बेदखल करने में लग गए हैं। यात्राओं का दौर शुरू है। घोषणाएं भी जारी हो रहीं हैं। सत्ता वापसी के प्रयास में लगे अखिलेश यादव कई तरह के आकर्षक वायदे पेश करने की तैयारी में है। आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल ही नहीं, ममता बनर्जी के उस घोषणा पत्र को भी खंगाला जा रहा है। कुछ बेहतर करने की बातें की जा रहीं हैं। उनका नया नारा है, ‘नई हवा है नई सपा है बड़ों का हाथ, युवा का है साथ...काम ही बोलेगा-2022 में बीजेपी की पोल खोलेगा’...इस नारे के जरिए भी सपा आने वाले दिनों में भाजपा को घेरेगी। जमीनी स्तर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अन्य दलों की तुलना में ज्यादे संघर्षशील रहते हैं, अब भी हैं। सपा मुखिया अखिलेश की एक आवाज पर चाहे जेल भरो, चाहे रेल रोको सपा कार्यकर्ता पीछे हटने वाले नहीं हैं।
कांग्रेस में भी जान लौट रही है। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सत्ता में आने की कवायद हो रही। कांग्रेस अब घोषणा नहीं प्रतिज्ञा कर रही। कांग्रेस की प्रमुख प्रतिज्ञाओं में टिकट में महिलाओं की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी। छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी।
किसानों का पूरा कर्जा माफ। 2500 में गेहूं धान, 400 पाएगा गन्ना किसान। बिजली बिल सबका हाफ, कोरोना काल का बकाया साफ। दूर करेंगे कोरोना की आर्थिक मार, परिवार को देंगे 25 हजार और 20 लाख को सरकारी रोजगार प्रमुख हैं। बहुजन समाज पार्टी ने भी कमर कस ली है। अमूमन घोषणा पत्र जारी न करने वाली मायावती इस बार घोषणा पत्र जारी करने की तैयारी में हैं। मायावती ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि वो किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगी और 403 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी। इसके अलावा संजय सिंह, ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी जैसे लोग भी अपनी पार्टी के लिए जमीन तलाश रहे। गठबंधन तलाश रहे। कुल मिलाकर देखें तो बिखरे विपक्ष की योगी सरकार को बेदखल करने की कवायद शुरू है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व समीक्षक हैं)
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