शर्महीन शहर येह मामला में कि सड़क पर झपट्टा मारन के संख्या बढ़ गइल बा। कानून के ठेंगा देखावत झपट्टामार माई-बहिन की गले से चेन, मंगलसूत्र आ कान के बाली, झाला, झुमका आये दिन नोचत हवें। सड़क से गुजरत दूसर राहगीर घटना देखत आ, लेकिन लफड़ा में नइखे पड़त। उचक्का लूट के आराम से चलि जात हवें। ‘संवेदनहीन’ घटना! येह मामला में कि आज कवनो ‘प्रिंस’ बोरवेल में गिरल रहित त पूरा देश के संवेदना जागि गइल रहत। लेकिन येह छीनाझपटी में एगो गरीब महतारी के कोख उजड़ गइल। उचक्का की धक्का से गोद की बच्ची नाला में बहि गइल। लेकिन मामूली तलाशी की बाद प्रशासन हाथ खड़ा क दिहलसि, आ उजड़ल कोखवाली एगो महतारी के दिलासा देके अपनी कर्तव्य के इतिश्री क दिहलसि। लूट के येह घटना में एगो बच्ची के जान चलि गइल। लेकिन वाह रे वर्दी! हमदर्दी में खाली लूट के घटना दर्ज भइल। बच्ची के मौत हजम।
पूरा वाकया सुनीं देवरिया जिला की तरकुलवा के संतोष अपनी परिवार के साथ गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के अधियारी बाग में रहेलन। संतोष गाड़ी चलावेलन। ओनकर मेहरारू सरोज अपने नौ महीना के लइकी पलक के गोद में ले के पीसीओ से फोन जात रहलीं। पति कहां हवें, कब अइहें? अइसन चिंता मेहरारुन के फर्ज ही ह। रेलवे लाइन के लगेवाला नाला की बगल में एगो बदमाश ‘बाइकवाला ना’ साइकिल से जात रहे। सरोज की कान के बाली नोचे लागल। येह छीना झपटी में गोद में नौ माह के बच्ची पलक, पलक झपकते नाला में गिर गइल अ बह गइल। मामला पुलिस तक पहुंचल, कोरम पूरा कइल गइल, नाला छानल गइल लेकिन पलक के जिंदा चाहे मुर्दा ना पावल गइल। सरोज अइसन अभागी महतारी हो गइली। जवन जनम देहनी, जीवन देहनी, ममताभरल दुलार देहली लेकिन अपना पलक के ना बचा पवलीं। पलक अ प्रिंस के यथार्थ आंखी के सामने नाचै लागल। प्रिंस के खातिर पूरा देश के संवेदना जागि गइल रहे। सेना, अफसर, मीडिया सब जागल रहे। पल-पल क जानकारी मिलत रहे, लोग आंख फाड़ के देखत रहे, लेकिन पलक के कहानी पलक झपकते समाप्त हो गइल। गरीब के बेटी रहल, नाला में बहि गइल। सरोज नाम की बदनसीब महतारी का अपनी मरल बेटी के लाश भी नसीब ना भइल। ‘सबकी संतति प्यारी होती, सबकी उतनी ही धड़कन। आंसू का मोल बराबर है, धनवान हो चाहे निर्धन।’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपन विचार लिखी..