अन्ना चच्चा बहुते अन्शानियाये . भ्रस्टाचार ससुरा भागे के नावे न लेत ह एही बीचे अपना यूपी में चुनाव के शंख बजी गईल .सालोसाल मैडम के मालोमाल बनावे वाला मंत्री खटाखट छटाये लगले. आन्नद , अनंत , राजेश, अवधपाल , रतन , बादशाह , रंगनाथ, राकेश ,अवधेश ,हरिओम , राजपाल, अकबर , यशपाल, फ़तेह, सदल ,अनिश , इस्लाम .../ बाप रे बाप , केतनन के किनारे लगा दिहली . मैडम बोलली - हम सबसे ज्यादा गन्दगी साफ़ कईली. जनता बोललि- तोहरे यहाँ जयादा रहल भी . अरे भईया ! काजल की कोठरी में झाड़ू लगा दिहले चुनाकली के चमक न आ जाई . कवना दल में गन्दगी न बा . नेता का सीट चाही . कल से , बल से , छल से . चुनाव के घोषणा होते टिकट खातिर टूट गईल हवे , राजनीती के कई गो नया दूकान खुलल बा , योहू गह्किन के भीड़ बा .दागी हो चाहे बागी , गांधीवादी हो चाहे अपराधी , राजनीति में सब जायज बा . चुनावी मौसम बा नेतन के रंग बदलत देख के गिरगिट भी सरमात हवे . कई गो नेता पार्टी से निकलला पर पुक्का फाड़ रोवत हवे , जनता के सहानुभूति जुड़त हवे , आन घर के कालिख के कई पार्टी की आंखि के अंजन बना लिहले . बेहया गिरी के हद इ बा की कहत हवे की हमार पार्टी गंगा हवे , दू चार गो गंदा नाला आके मिली त उहो पवित्र हो जाई . बेचारे मंत्री जेकरा के मैडम निकाल दिहली ओ सब माननीय लोग की साथै हमार सहानुभूति बा , भाई लोग एक राय रहित त मैडम की तानाशाही के भी अंत हो जाईत . एही से कहल गईल बा - मनुष्य बलि नहीं होत है समय होत बलवान. चुनावी चर्चा में एगो गीत बड़ा हीत भईल बा -दागियो को गले न लगाना , हाय राम ! भ्रष्टाचार है भगाना. एही बीचे एगो अफवाह उडल .जगत रहिह न त पत्थर बनी जईबा . भईया हो चुनाव में भी जगत रहिह . आंखि खोल के देख$ प्रत्यासी की भेष में तोहरा सामने कवनो चोर , उचक्का ,गिरहकत्त, बल्त्कारी , भ्रस्टाचारी त जनसेवा खातीर न खड़ा बा .बटन दबव्ला की पाहिले न जगब$ त पाच साल पत्थर बनी जईबा . राजनीती की येही धमा चौकड़ी में कुछ दोहा सुना देत हई-
दाग लगी , चिंता नहीं , मनवा बेपरवाह .
सीना ठोक के कह रहे , बाबु और बादशाह .
यह ही तो राजनीती है , कहते कुछ करे और .
दल से निकले क्या हुआ , आखिर मिल गयी ठौर .
गंगा सच में महान है ,नहीं कोई बात बिचित्र.
गंदा नाला जो मिले , वह भी होय पवित्र .
दाग न देखो किसी की , रखियो पूरा ज्ञान.
जेहि विधि सीट निकर सके , चाहे जाये मान-सम्मान .
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