गुरुवार, 19 जुलाई 2012

‘खाकी-खादी-क्रिमिनल् का भइलन एकै संग?

बाबा गोरखनाथ के दोहाई। गोरखपुर के अपराध से बचाई। रउरा नगर में केहू सुरक्षित ना बा। दिन दहाड़े लोग लुटात बा, पिटात बा, मरात बा। रात में घरन में डकैती होता त दिन में सड़क पर लूट आ छिनैती होता। पुलिस सुति गइलि बा। बदमाश जागि गइल हवें। कानून व्यवस्था भले ध्वस्त बा, ‘खाकी-खादी-क्रिमिनल’ मस्त बा। चारो ओर त्राहि-त्राहि मचल बा। पुलिस लगातार पर्दाफास करति बा। अपराधिन के धरति बा। जेल में ठेलति बा। लेकिन अपराध रुके के नावे ना लेत बा। पुलिस की ‘ पर्दाफास कथा’ में छेद ही छेद बा। एतना अ-‘अपराधी’ पकड़ के जेल भेजा गइले, तबो अपराध ना रुकल। लोग कहत बा- पुलिस की बेंत में घुन लागि गइल बा। असलहा मुरचा गइल बा। पुलिस लउकति बा, लेकिन ओइसे जइसे खेत में खड़ा कवनो ‘ धोखा’ (बीजुका) होखे। धोखा से त जंगली जानवर आरी-पासी गइले से डेरा जात हवें लेकिन महानगर के बदमाश त सड़क के छुट्टा सांड अइसन पुलिस के लगवे से खुरचारी मारत, सिंगिवटत, रगरत, धकियावत चलि जात हवें। छोट-मोट चोरी छिनैती के बाति छोड़ीं,बड़वर कांड पर नजर डालीं। गुलरिहा थाना की संतहुसैन नगर कालोनी में श्यामाकपूर के हत्या करिके घर लूट लियाइल। पता चलल कि हत्या आ डकैती राजमिस्त्री कइलन। बैंक रोड पर दिनदहाड़े इंजीनियर लुटा गइलें। भरोह में कृषि अधिकारी से लूट हो गइल। कैम्पियरगंज में मनीष सामंत के घर लुटा गइल। तुर्कमानपुर में जर्दा कारोबारी मुमताज लुटा गइलन। कोआपरेटिव बैंक के गार्ड मरा गइलन। खजाना लुटला के प्रयास भइल। रेलवे की जीएम आफिस की सामने एटीएम उखाड़े के प्रयास भइल..। और बहुत कांड भइल, केतना गिनाई? अब शहर में करिया टीशर्ट वाला मोटका चोर के फोटो जगह-जगह सटाइल बा। शहर के मनई मोटकन के देखि के शंका करत हवें। महानगर की हालात पर देखीं इ कविता केतना सधत बा- 
रात डकैती आये दिन, दिन में होत बा लूट। 
महानगर में जइसे मिलल, होय लूट के छूट।।
 उंघत पुलिस बा इहां के, जागल हवें बदमाश। 
लचर भइल कानून व्यवस्था, झूठ मूठ बकवास।। 
पुलिस बेंत में घुन लगल, कि हथियारन में जंग। 
खाकी-खादी-क्रिमिनल, कि भइलन एकै संग।। 
होत जवन बा धरपकड़, का सचहूं ‘पर्दाफास’। 
बहुत छेद बा ‘पुलिस कथा’ में, बुझबि मत परिहास।।

नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी  व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 19 जुलाई 2012 के  अंक मे प्रकाशित है । 

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