गुरुवार, 29 नवंबर 2012

कूटù छांटù, हाउर-हाउर, खुद्दी अधिका, कम बा चाउर


मनबोध मास्टर मिललें। जैरमी भइल। पूछलें- काहो बाबा! का हाल बा? बाबा बोललें- हाल त बेहाल बा। लेकिन झूठों गाल बजावल जाता। ‘हउहाई के विआह कनपटिये ले सेनुर’ के दशा बा। यूपी में सरकार हाउर-हाउर सब माफ करति बा। लाभ केके केतना मिलता? जवना नहरन में सालों साल धूल उड़त रहे ओकर पनिवट माफ। जवना सरकारी टय़ूबवेल की गुल से सालों साल पानी के एगो बूंद ना बहरियाइल ओकर केइसन पनिवट? कहीं मोटर जरल बा, कहीं ट्रांसफार्मर। कहीं नाली टूटल बा त कहीं टंकी फूटल बा। नहर में टेल ले पानी आ सरकारी टय़ूबवेल से ठेल के पानी पहुंचावला की बाद यदि पनिवट माफ होइत त किसान गदगद हो जइतन। चुनाव में कहल गइल रहल कि सिंचाई मुफ्त। हम जनलीं प्राइवेट टय़बवेल जे लगवले बा ओकर बिजली के बिल माफ हो जाई, लेकिन हाल इ बा कि बिना बिजुलियो के बिल आवत बा। सरकार बैंक के पचास हजार तक के कर्जा माफ क दिहलसि। कवना बैंक के कर्जा माफ भइल? किसान भाई लोग त ग्रामीण बैंक, सेंट्रल बैंक आ स्टेट बैंक से कर्जा लेले हवें आ माफ भइल ओह बैंक के जवन पहिलहि के डूबल बा। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री घोषणा कइले रहलें कि 15 नवंबर ले सजो सड़क ठीक हो जाई। गनीमत रहे कि इ ना कहलन कि फलां हीरोइन की गाल अइसन चिकन हो जाई। सड़क एतना चकाचक बा कि तनि देवरिया बाईपास पर आ जाई आ फकाफक धुर्रा फांक लीं। देसी पाउडर देहि पर एतना गिरी कि दिनवे में रउरा भूत अइसन लागब। अब तनि कानून व्यवस्था के अवस्था देखल जा। सोमवार की दिने लखनऊ की दूनों सदन में बसपाई भाई लोग खूब हंगामा कइल। करत रह हंगामा। जवना खाकी पर सूबा के सेवा आ सुरक्षा के जिम्मेदारी बा उहे लूट डकैती दुराचार में लागल बा। कई जगह पुलिसवाला पब्लिक की हाथे पिटइले। कई जगह पुलिसवाला गुंडई पर उतर गइलें। मोहद्दीपुर चौराहा पर ठेलावाली की जलेबी मुफ्ते में उड़ावेवाला लफंगा पइसा मंगला पर ठेलावाली से र्दुव्‍यवहार पर उतर गइलें। जब उ भाग के मोहद्दीपुर चौकी पर गइल त लफंगा ओहुजा लफड़ा क दिहलन। तोड़-फोड़ कइलन। पुलिस भींगल बिलार बनि गइल रहे, लेकिन शाहपुर की शक्तिनगर में पुलिस बहुत बहादुरी देखवलसि। दारू पी के दुगो सिपाही महिला सिपाहिन की कमरा के फाटक तोड़ के रात की बेरा घुसि गइलन। अब उनकर नीयत का रहे इ रउरा बुझते होखब। खैर बहुत कुटले -छंटले का होई। हम त इहे कहब-
कूटù-छांटù हाउर-हाउर।
खुद्दी अधिका, कम बा चाउर।
रसियाव के कहले जाउर।
अइसन बाटे राज इ राउर।।
-नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 29 नवबर 2012 के अंक में प्रकाशित है .

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