शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

आगे चलेले हल्ला गाड़ी, तोड़े -फोड़े और उखाड़ी,,,

मेरा यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 7/2/13 के अंक में प्रकाशित है
आगे चलेले हल्ला गाड़ी, तोड़े -फोड़े और उखाड़ी,,,
सुघ्घर गोरखपुर। सुंदर गोरखपुर। सपना के बात बा। शहर की बखरे त अतिक्रमण के सौगात बा। सड़किया के हाल त अबरा के भौजाई अइसन बा। जेही का मन करे कब्जिया ले। सड़क छेकला की होड़ में जी तोड़ मेहनत करत अतिक्रमणकारी लोग अइसन छेकत हवे कि जब जाम लागत बा त मोटर गाड़ी, चारपहिया सवारी के बाति के कहे साइकिल कान्हें पर लादि के आगे निकरे के परत बा। पैदलिहा लोग त गुरिल्ला अइसन कूदत-फांदत कइसो निकर जात हवें, लेकिन मरो चारपहिया वाले। बड़ा शौक से गाड़ी खरिदलें की फरफरात उड़त चल जाइब। इ ना जानत रहलें कि शहर में जाके फंसि जाइब। ठेला- गुमटी वाले ही कसम ना खइलें हवें अतिक्रमण करे बदे, प्राइवेट स्कूलन के बड़े-बड़े बस, पीछे मोटहन अक्षर में लिखल-‘सावधान बच्चे हैं’। बीच सड़क में ही बस खड़ा कर के बच्चे उतारत हवें आ पीछे लगल जाम के वाहन पों- पों, टें-टें करत हवें। बहुत हिम्मत क के नगर निगम के बुलडोजल हल्ला गाड़ी बनि के सड़क पर उतरल। दिनभर तोड़-फोड़, ध्वस्तीकरण। शाम तक सड़क के पटरी फिर गुलजार। के बा येकर जिम्मेदार? के बा जवाबदेह? नगर निगम आ ट्रैफिक पुलिस के डंडा चलत बा। अतिक्रमण हटत बा। दुबारा कब्जा होत बा त जवना क्षेत्र में अतिक्रमणकारी फेर आपन थुन्ही-खंभा खड़ा करत हवे ओह क्षेत्र के पुलिस का करति बा? अतिक्रमण हटाऊ दस्ता रास्ता खाली करावत बा त दूसरे दिन फिर अतिक्रमण कइसे पांव पसार लेत बा? जवाब बहुत आसान बा। क्षेत्र के पुलिस ही मेहरवान बा। कस के मुकदमा लिखे , चांप के जेल भेजे सब सुधर जाई । पुलिस जब तक सुधारसिंह की रूप में ना दिखी शहर के सूरत अइसे ही दिखत रही। दु दिन हल्ला होई-भाग रे भाग! हल्ला गाड़ी आवत बा। फिर बैतलवा ओही डाल। बेतियाहाता के एगो गरीब दुकानदार का जेतना अपनी दुकान टुटला के दुख ना बा ओतना दुख येह बात के बा कि दूसरी पटरी पर कब्जा कइले बड़ लोग पर बुलडोजर काहे ना चलल। महानगर की अतिक्रमण पर बस इहे कविता-
अइसे भला कइसे मिली, इहां जाम से मुक्ति? 
जाम-झाम की नाम पर, नगर निगम के युक्ति।। 
नगर निगम के बुलडोजर, नाम बा हल्ला गाड़ी।
 शाम को फिर गुलजार हुआ,दिन भर बहुत उखाड़ी।। 
महानगर में फेल होत बा, सचमुच यातायात। 
अतिक्रमण की निर्लज्जता, के क्या कहने बात।।
 बलशाली है कब्जाधारक, कोई बांह न सकै मरोड़। 
सिविल लाइन्स, रेलवे, बचल ना कवनो मोड़।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपन विचार लिखी..

हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद