पाकिस्तान शरीफ नवाजा, कवना खुशी बजावहुं बाजा...
पड़ोसी देश में लोकतंत्र के राजा चुना गइलें। भारत में भी कुछ लोग फुलझरी छोड़ के खुशी मनावे लगलें। मनबोध मास्टर का येह कुटनीतिक खुशी के बहुत एतराज बा। पूछ पड़लन- ‘ पाकिस्तान शरीफ नवाजा। कवना खुशी बजावहु बाजा।।’ शरीफ नाम होवले कवनो मनई शराफत से व्यवहार निभा दे एकर कवन गारंटी बा। भारत और पाकिस्तान की संबंध में नेकी और बदी के अंतर साफ दिखेला। एगो बात के प्रशंसा कइल जा सकेला उ इ कि जवना पाकिस्तान में गोली बम बारुद आ सर कलम के कुसंस्कृति सदा से गूंजत रहे ओइजा बुलेट की जगह बैलेट से शासन बदल गइल। भारत आ पाकिस्तान के सीमा-सरहद मिलेला लेकिन दुनों देशन के दिल कब मिलल। दुनो के राह जुदा-जुदा बा। शरीफ साहब लाख शराफत के बात कहें दुनो मुल्कन के बीच के तनाव के माहौल ठंडा ना हो सकेला। शरीफ के जीत जम्हूरियत के जीत , शरीफ के शराफत पाक की नापाक धरती की सीमा में ही शोभा देई। शरीफ की जीत पर अमेरिकी, ब्रिटेनी, चीनी, ईरानी, सऊदिआई, अरबिआई, तुर्किआई, कुबैतिआई खुश हो सकेलन हम काहें बाजा बजायी, नाचीं गायीं जश्न मनाई। ऊपर उल्लेखित देश के लोग मख्खन मार मलाई लगावें त कवनों बात ना लेकिन हम काहें चाटुकारिता के चिकन-बिरयानी के र्चचा करीं जब सदा से शाकाहारी के समर्थक हई। शरीफ साहब को बिना मांगे कुछ सुझाव देके पड़ोसी धर्म के निर्वहन कइल जरूरी बा। पाकिस्तान में पहिला चुनौती बा- तालिबान आ कट्टरपंथी जमात से निजात के। काहें कि इ कट्टरपंथी भारत जइसन शांत देश के अस्थिर करे की कोशिश में लागल रहेलन। दूसरका चुनौती बा- कश्मीर मुद्दा। जब तक इ मुद्दा ना मरीं, मतलब की जीवित रही तब तक घुसपैठ आ गोलीबारी ना रुक सकेला। पाकिस्तान का चाहीं कि आपन आर्थिक स्थिति मजबूत करें। भटकल युवावर्ग के रोजी -रोजगार, काम-धंधा में लगा दें। येह से इ लाभ होई कि खाली दिमाग शैतान के घर वाली कहावत से छुट्टी मिली। बेरोजगारी रही, बेकारी रही, गरीबी रही, भूखमरी रही, लाचारी रही त कवनो ना कवनो रूप में आतंकवाद के फसल लहरात रही। आतंकवाद बढ़ी त भारत के शांत चित्त अस्थिर हो जाई। शरीफ साहब! रउरा इहां खाली धुंआ उठेला त हमरे इहां आग कइसे लाग जाला? पाकिस्तान, जहां के सेना बेलगाम, जहां के आईएसआई बेलगाम। छियाछठ बर्ष बाद जहां जनतंत्र ने जोरदार दस्तक दी है, वहां की जनता को बहुत-बहुत बधाई। इ कवित्तई -
पाकिस्तान शरीफ नवाजा। कवना खुशी बजावहुं बाजा।।
एक तराना एक फसाना। आतंक का रहा घराना।।
हमको प्यारा चांद व तारा। तुमको भाये क्यूं अंधियारा।।
केतना तेल लगावहुं घोंचू। सोझ भयो ना कुक्कुर पोंछू।।
- narvdeshwar pandey dehati ka yah bhojpuri vyngy rashtriy sahara ke 16/5/13 ke ank me prkashit hai .
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