भारत की सीमा के भीतर घुस अइलें कुछ चीनी बंदर
बुधवार के पहली मई रहल। पहली मई ऐह लिए मशहूर ह
कि आज के दिन मजूर लोग की नावे क दिहल बा। मनबोध मास्टर आज मुंह ओरमवले घरे
बइठल हवें। येह लिए ना कि आज मजदूर दिवस ह आ छुट्टी के दिन ह। उनकी मुंह
ओरमवले के कारन बा चीनी घुसपैठ। हालांकि चीन त बहुत पहिले से ही घुसल बा।
सीमा नियंतण्ररेखा ही ना उ त हम्मन की घर के भीतर ले समा गइल बा। मोबाइल
फोन, टेलीविजन, कंप्यूटर, टार्च , लरिकन के खिलौना, इलेक्ट्रिक सामान से
लेके किचन ले समाइल बा चीन। हम्मन के भावना देखीं, स्वदेशी के नारा देलीं
जा लेकिन प्रयोग विदेशी कइला में गर्व करीलां। हमार भारत महान हवे। हम्मन
महान देश के महान नागरिक हई जा। रोज-रोज बलात्कार के खबर बहुत मगन होके
पढ़ेलींजा। बड़ से बड़ घोटाला के बिना हाजमा के गोली खइले हजम क लेलीं जा।
कुछ चीनी बंदर हमरी भारत माता की छाती पर आपन पांचवा तंबू भी गाड़ दिहलन
लेकिन हम्मन के नपुंसकता भी बेजोड़ बा। विदेश मंत्री से लेके प्रधानमंत्री
तक मुंह में दही जमा के मख्खन मरला में लागल हवें। हम्मन ‘ अतिथि देवो
भव’ के परंपरा के पोषक हई , तब्बे त आतंकवादिन के भी माफी देके पुन्य
कमाइल जाला। गलती से कवनो आतंकवादी अगर जेल चलि जाला त एतना स्वागत में
विरियानी खिआवल जाला जेतना ओकर बाप-दादा ना खइले होइहें ना खिअवले होइहन।
चीन लगातार घुसपैठ करत बा हम हईंकी कोयला की कालिख से चेहरा पुताके होली के
मजा लेत हई। भइया! ‘ आत्म सम्मान’ भी कवनो चीज होला? हम मान-सम्मान,
स्वाभिमान, अपमान सब कुछ भुला के मौनासन में हई। का येही दब्बूपन से विश्व
में हम भारत के महाशक्ति बना पाइब? हम खाली सरकार पर आरोप लगा के अपनी
दायित्व से ना बचि सकेलीं। महान भारत के महान नागरिक भइला की नाते हम्मन के
चाहीं कि चाइनिज सामानन के वहिष्कार कइल जा। कवनो देश के कमजोर करे के
होखे त ओकर अर्थिक ढांचा ढहावे जरूरी होला। चीन के पचास फीसदी अर्थ
व्यवस्था भारतीय उपभोक्ता बाजार पर निर्भर बा। अगर हम्मन चाइनिज सामानन के
बहिष्कार क दिहलीं जा त समझीं आधा चीन के कब्जा क लिहलीं जा। भारतीय सीमा
में बीस किलोमीटर घुसल चीनी बंदरन के चहेटे खातिर सेना लगा दिहल जरूरी बा आ
घर-घर में घुसल चाइनिज खातिर दृढ़ संकल्प शक्ति जरूरी बा। आई समें दुनो ओर
से हमला क के चीन फतह कइल जा-
भारत की सीमा के भीतर, घुस अइले कुछ चीनी
बंदर।
तोड़ नियंतण्ररेखा देखीं, चलि अइलें बीस किमी अंदर।।
देश दशा पर मुंह
ओरमवलें, ना बोलत सरकार धुरंधर।
घर-घर में चाइनिज घुसल बा, हमें चिढ़ावत
हवें लफंदर।।
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के २/५/१३ के अंक में प्रकाशित है .
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपन विचार लिखी..