हमरो शहर में चाहीं $ डांस बार$
मनबोध मास्टर के मन मयूर सावन की फुहार बगैर ही
नाच उठल। महाराष्ट्र में डांस बार खोले के मंजूरी की साथे मुंबई नाचत बा।
छप्पन छूरी बहत्तर पेंच के मजा ओइजा की लोग के मिलत बा। अगर इ व्यवस्था
गुड़गांव में रहित त नवहा लक्ष्का-लक्ष्किन के बेइज्जती ना महसूस भइल रहित।
बइसे हम्मन के पुरखा पुरनिया लोग बहुत पहिले से ही सिखावत रहलें-‘ सात
हाथ हाथी से डरिहा, चौदह हाथ मतवाला से। अनगिनत हाथ तू डरिहा बबुआ,
पुतुरिया सुरतबाला से’। आज के नवहन का पुरनिया लोग के बात नरेटी धरत बा।
जे ना पियत-पियावत बा ओके बैकर्वड कहल जाता। अब त लक्ष्कियो पब में जाये
लगली। गांव-देहात के मनई नून-रोटी-लकड़ी जुटावला में परेशान रही उ कहां
डांस बार के चांस पाई। पीयल-पियावला में अझुराई त कच्ची चाहे देसी ले पहुंच
पायी। खैर महाराष्ट्र के आपन महत्व ह। पहिले से ही कहल जात रहे-
‘..बांबे पैसा वालन के’। अब डांस बार में बार गर्ल्स जवन जाम परोसिहन
ओहमे अलग से जान डाल दीहें। गदराइल देहि जब चोन्हा मारि के जाम पियाई त कई
लोग बगैर पियते मदहोश हो जाई। एगो अनुमान की मुताबिक मुंबई में पचहत्तर
हजार गर्ल्स लोग बेरोजगार हो गइल रहली। अब उनकर धंधा चोख- चटक हो गइल।
मुंबई त ओइसे भी माया नगरी ह। कबीर बाबा बहुत पहिले ही बक देले रहलन-
‘माया महाठगिन हम जानी।’ मुंबई में मौज-मस्ती, डेटिंग-सेटिंग, लवर
प्वाइंट के भला कहां अकाल रहल। बैंड स्टैंड, अरनाला बीच, मद आइस लैंड,
मनोरी एंड गौरार बीच, जूही -चौपाटी, जीजाबाई उद्यान, सीफेश, मडाल अक्सा
बीच, मर्व और पवाई लैक अइसन तमाम नामी-कुनामी ठेहा बा जहां खुल्लम-खुला
प्यार के इजहार होत रहेला। कुछ ठगे लन, कुछ ठगा जालन। येह ठगला-ठगइला की
प्रवृत्ति में हमार शहर गोरखपुर बहुत पिछुआइल शहर लागे ला। एइजा मौज मस्ती
के ठेहा मुंबई अइसन भला कहां मिली? गोरखपुर में ब्ही पार्क, रीजनल
स्टेडियम, पंत पार्क, इंदिरा बाल बिहार, तारा मंडल, रेलवे म्युजियम, लाल
डिग्गी पार्क आदि कुछ जगह बाड़िन जहां प्रेम के पेग बढ़ावल जाता। गोरखपुर
की सनातनी संस्कार पर मुंबइया प्रवृत्ति के प्रगतिशीलता हम्मन जइसन
बूढ़-खसोट लोग का भले बाउर लागी लेकिन नवहा-नवही एडवांस बनत हवें। अब जेकरा
पाश्चात्य संस्कृति से परहेज होखे उ चाहे रामगढ़ में डूबे चाहे राजघाट
पहुंच जा। लक्ष्का त इहे कहिहें-‘ दिल है कि मानता नहीं.’। घवराई जनि,
कुछ इंतजार करीं, फेरु देखीं
डांस बार के चांस मिली त, चढ़ि जा प्याला पर
प्याला।
बाल गर्ल्स की हाथ से पियले, बौराई पीयेवाला।
मस्ती छलकी मदिरा
छलकी, छक के पीये बदे मिली।
हर शहर में डांस बार हो, हर गली में मधुशाला।
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 25 जुलाई 13 के अंक में प्रकाशित है .
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