सोमवार, 23 अगस्त 2021

सड़क पर भोजपुरी व्यंग्य

नगर -डगर की बात/एन डी देहाती

रउरी कागजे में चकाचक, हम भुभुन फोड़वावत बानी

मनबोध मास्टर मोटरसाइकिल पर टिकावल-बन्हावल मेहरी के बईठवले ससुरारी चल दिहलें। मसटराईन मिठाई के डिब्बा आ रखौनी के लिफाफा हाथ में लिहले मगन रहली। आज भाई के राखी बन्हाई में मोटहन नेग लिआई, इहे सोचत रहली तवले हचाक दे सड़क की गड़हा में गाड़ी सहित दुनों प्रानी उलट गईलें। मास्टर के पतलून, मस्टराईन के लहंगा लेवठा गइल। रखौनी पानी मे पवरत रहे आ मिठाई भुरकुस होके कानो-माटी में सना गइल। दुनों जने के जतरा खराब। घरे लौटत मसटराईन चालू हो गईली-आव दहीजरा के नाती वोट मांगे, तोर माटी लागो। तोके भवानी माई उठा ले जा.....। और भी बहुत तरीका से विधायक जी के गरिआवत, धिधिकारत रहली। मास्टर भी सड़क की खराब हाल पर दुखी हवें। कई जगह सड़क खराब भईला की चलते लोग सरकार के कोसत बा। एम पी -एम एल ए के नखादा बतावत बा। पक्का रास्ता रहल। अब कच्चा से भी बदतर हो गइल। ठेकेदार आ इंजीनियर की डंडीमार व्यवस्था आ नेतन की कमीशनखोरी की चलते पगडंडी से भी बाउर भईल सड़क के गजब हाल बा। असों के पानी भी गजब कमाल कईले बा। पलक झपकावते पहुंचे वाला लोग अस्पताल पहुंच जात हवें। सरकारी दावा के हवा निकल गइल बा। ए सबकी बावजूद भी खराब सड़क के बहुत फायदा बा। जेईसे-अब गतिरोधक बनवला के कवनो काम ना बा। गाड़िन के एवरेज कम भईला से महंगा तेल के बिक्री बढ़ल बा। सड़क की गड़हा में गिरला पर नजदीक के झोला छाप डाक्टरन के भी दुकान तरक्की पर बा। दवाईं की दुकान पर मरहम, पट्टी, सुई दवाईं के बिक्री बढ़ल बा। फेचुकर फेकले गाड़ी से मिस्त्री आ पार्ट पुर्जा बेचे वालन के भी चांदी बा। यातायात के भीड़ कंट्रोल कईला में भी गड़हेदार सड़क के बड़ा योगदान बा। सड़क की गड़हा में लगल पानी में मुँह देखीं सभे अब शीशा देखला के जरूरत ना पड़ी। पैदलीहन के सड़क क्रॉस कईला में अब कवनो दिक्कत नईखे। जूता-चप्पल एक हाथ मे उठायीं आ दूसरा हाथ से फुफती उठवले हेल जाईं। वासिंग पावडर के बिक्री में बढोत्तरी में भी कीचड़ आ गड़हावाली सड़क के बहुत योगदान बा। अब सरसरात जात मनई जब भरभरा के गीरत हवें त कुछ दिन अस्पताल सेवा की बाद ऊपर पहुँचत हवें। जनसंख्या नियंत्रण में भी खराब सड़क के योगदान बा। क्षेत्र की सड़किन की हाल पर बस इहे कविता लहत बा-

डेग-डेग पर गड़हा-गुड़ही, जामे भरल बा पानी।
कानो-कीचड़ में हाफ़त-पाकत, रोज के आना जानी।।
रउरी कागजे में चकाचक, हम भुभून फोड़वावत बानी।
कहें देहाती चारों ओर बा, सड़किन के इहे कहानी।।

23 अगस्त 21 को वायश आफ शताब्दी में प्रकाशित

रविवार, 22 अगस्त 2021

भोजपुरी व्यंग्य


नगर-डगर की बात/ एन डी देहाती

मनबोध मास्टर अखबार पढ़ला में मगन रहलें। तबले फुफकारत नागिन जेईसे मस्टराईन आ गईली। बोलली-आज नाग पंचमी ह। साल के पहिला त्योहार ह। जाईं ! गाय के गोबर,उजरका बालू, पियरका सरसो खोज के केहू जानकर मनई से परोरवा के ले आईं। मास्टर हाथ मे कटोरा लेके निकल पडलें। सड़क पर निहुर के गोबर उठावत रहलें, तबले पीछे से एगो जर्सी साढ़ उठा के फेंक दिहलसि। मास्टर बड़बड़ईलें-एतना गो आश्रय बनल त सड़किये पर कब्जा रही। उजरका बालू ना मिलल त सोनभद्र वाला पियरके उठा लिहलन। पियरका सरसो ना मिलल त करिके लेके परोरे वाला के खोजे लगलन। मुहल्ला-मुहल्ला तलासत आखिरकार एगो गुनी मनई मिललन।  मस्टराईन दरवाजा की दुनों ओर गोबर से नाग नागिन उकेर के दूध लावा चढ़ा के पूजा कईली। ओकरा बाद गोबर से घर के देवार घुरिआवे लगली। घर की रंग- रोगन, डेंट -पेंट पर गोबर के चौगोठा। मास्टर सोचे लगलन-नाग पूजा हम्मन के सनातन संस्कृति ह। सालों साल साँप देखते लाठी से मारे वाला लोग भी आज साँप पूजत बा। सपेरा तरह तरह के साँप लेके घुमत हवें। दूध की नाम पर पईसा बिटोर के सांझी बेरा दारू ढकेलत हवें। का जमाना आ गइल। साँप का जहर उगली? जेतना नेता उगलत हवें। नफरत के जहर एतना भरल जात बा कि आदमी ही आदमी के डंस लेई। साँप से ज्यादा खतरनाक आस्तीन वाला साँप हो गइल हवें। इनकर डंसल मनई त पानी ना मांग सकेला। भविष्य पुराण में बतावल गइल बा कि नागिन दो सौ चालीस अंडा देली। लेकिन अंडा के आहार बना लेली। एक दुगो अंडा जवन बच जालें उहे नाग चाहें नागिन होलें। जनसंख्या नियंत्रण के अईसन फार्मूला। खैर! मनई त अईसन विषधर हो गइल बा कि समाज मे चारों ओर जहर ही जहर भरत बा।

आइल मौसम देखीं सभे अब, भांति-भांति के साँप।
कुछ तो केचुल छोड़कर, दिख रहे बहुत ही पाक।।
देहाती फुफकार रहल बा, हम सापों के बाप।
यूपी में अब हो रहल बा, सांपन के ही जाप।।



सोमवार, 16 अगस्त 2021

भोजपुरी व्यंग्य 9 अगस्त 21

लेख सुनामी एक्सप्रेस 16 अगस्त 21

सत्ता रस की खोज में भौंरा बने राजभर

पांडे एन डी देहाती, स्वतंत्र पत्रकार

कभी यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर आजकल सत्ता रस की खोज में भौरें की तरह कभी इस दल पर कभी उस दल पर मरड़ा रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर पहले बीजेपी के साथ थे। यूपी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। सरकार में सहभागी थे लेकिन विरोध इतना करते रहे कि विरोधी पार्टियां भी पिछड़ गईं। बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन कर लिये।भागीदारी संकल्प मोर्चा की बात करें तो इसमें कुल 10 पार्टियां शामिल हैं। बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, अपना दल (के) यानी कृष्णा गुट, ओवैसी की एआईएमआईएम, प्रेमचंद प्रजापति की पार्टी के साथ ही अन्य छोटी पार्टियां इस मोर्चे में शामिल हैं। ओवैसी के मजनू बने ओम प्रकाश हर जगह हाथ पांव मार रहे। वे उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से भी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ओम प्रकाश राजभर को पसंद न करते हों लेकिन संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ऐसा ताना बाना बुन रहे हैं कि राजभर की घर वापसी हो जाय। दयाशंकर ही राजभर को अपने साथ लेकर स्वतंत्रदेव सिंह से मिलाने गए थे। दयाशंकर सिंह ने कहा कि उनकी कोशिश है कि ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में लाया जाए क्योंकि राजनीति में कोई परमानेंट मित्र या शत्रु नहीं होता। राजभर शुरू से प्रधानमंत्री मोदी के दलित और पिछड़े वर्गों के लिए किए गए कार्यों के समर्थक रहे हैं।  ऐसे में वह हमारे साथ दोबारा आ सकते हैं। 
बहरहाल अभी बसपा से जितेंद्र सिंह बबलू को भाजपा ज्वाइन कराने का हश्र स्वतंत्र देव सिंह देख चुके हैं। भला हो रीता बहुगुणा जोशी का जिन्होंने अपने प्रचंड विरोध के बल पर जितेंद्र सिंह को पार्टी से निकलवा कर दम लिया। एक बात समझ में नहीं आ रही कि जो ओम प्रकाश राजभर भाजपा और योगी के खिलाफ इतनी बकैती कर रहे उन्हें भाजपा में लाने को स्वतंत्रदेव क्यो आतुर हैं।
ओवैसी, स्वतंत्र देव सिंह के अलावा राजभर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिल लिए। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव  से उनकी मुलाकात एक घण्टे की रही। गठबंधन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। 
अपने बड़बोलेपन के लिए प्रसिद्ध ओम प्रकाश राजभर तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नेता ही नहीं मानते है। राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए अभी हाल ही में कहा, "योगी साधु बाबा हैं. उन्हें मठ-मंदिर में रहना चाहिए। वह वहीं अच्छे लगते हैं। दरअसल, योगी आदित्यनाथ कोई नेता नहीं हैं। नेता तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती हैं।" राजभर ने कहा कि मायावती और अखिलेश के मुख्यमंत्री काल में विकास कार्य धरातल पर नज़र आते थे जबकि योगी आदित्यनाथ का कोई भी काम जमीन पर दिखाई नहीं देता।इससे पहले राजभर ने दावा किया था कि अगर समाजवादी पार्टी केवल छोटे दलों से समझौता कर ले, तो आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। 
ओम प्रकाश राजभर की काट के लिए भाजपा ने अनिल राजभर को मंत्री बनाया लेकिन जिस प्रकार अपनी बिरादरी पर ओम प्रकाश हावी हैं उनकी तुलना में अनिल नहीं हैं। ओम प्रकाश राजभर सत्ता से बेदखल होने के बाद बेचैन हैं। कभी ओवैसी, कभी स्वतंत्रदेव, कभी अखिलेश से मिलने के पीछे मात्र एक उद्देश्य है कि एन केन प्रकारेण सत्ता का रस फिर मिले।

सोमवार, 9 अगस्त 2021

भोजपुरी व्यंग्य 9 अगस्त 21

नगर-डगर की बात/एन डी देहाती

बाबा लोग की पयलग्गी में, बेआदर सन्देश

मनबोध मास्टर भड़कल हवें। भिनहि से गधबेरी ले पयलग्गी के दौर। काहें लोग एतना पाँव लागत बा। आशीर्वाद दिहला में औज़ाईल रहलें, तबले फिर एक जने बोल पडलें-बाबा पाय लागीं। बेरूखे मुँह से निकर गइल- जीय$ बाबू! भरसक। अब येही "भरसक" पर बहस शुरू हो गइल। बाबा बोल पड़ले-हवा में जनि उड़$ जा। चतुराई देखा के जवन वोट की घनचक्कर में घर-घर छिछिआत हव जा, जगह -जगह चिचिआत हव जा। एह से कल्यान ना होई। जवन जे बोवले बा उहे काटी। गाँव-गाँव पंडी जी लोग के अईसन श्रद्धा से खोजत हव जा, जेईसे 22 में चुनाव ना श्राद्ध पड़ल होखे। एतना श्रद्धा त श्राधे में लउकेला। बाबा लोग के हमेशा पिसान वाला "परथन" बनवले रहल$ लोग। आटा की लोईया में परथन लपेट के आपन रोटी सेंकला के आदत एह बेरी छूट जाई। बाप रे बाप!हद के थेथरई बा। सालों साल मनुवादी कहि के गरिवलें, आज पयलग्गी करत हवें। जेकर नेता अयोध्या में शौचालय बनवावे के कहत रहलें। ओकर चेला अब सरयू मईया में दूध चढ़ावत हवन।तिलक- तराजू- तलवार के अब ना जूता मरब$? ना घाव भरल बा, न भुलाइल बा। आ हुनके देख$- जेकरा राज में उनकी चेला-चपाटी लोग की लाठी में अंगारी बरसत रहे, उहो पांच जने पण्डिते के लेके बाबा लोग के अझुरावत हवें। का समय आ गइल बा। जातिवाद की जहर में झौसाईल राजनीति देख के इंसानियत सरमात बा। सियासी तरजुई पर बाबाजी लोग के "बटखरा" बनवला में सब लोग लागल बा। चारों ओर चाभी-चाभा बा। बुद्धू बक्शावालन की मुद्दा में भी बाबा बा। जेतना काशी आ काबा वालन के चर्चा ना, ओतना बाबा लोग के चर्चा। मनुवादी कहि कहि जे देत रहे गारी, उहो अब आरती उतारी। जवन लोग सदा से पीठ पूजला के आदती रहे, उहो अब पाँव पूजत बा। ई कलमुँही राजनीति कवन-कवन दिन देखाई? खैर! 22 में बाबा लोग बबे की साथे रहीहन कि कुछ नया खेला होई? ई त भविष्य की गरभ में बा, लेकिन बाबा लोग के एकठिआवल बिकट काम ह। सब विद्वान ह। सब बुद्धिजीवी ह। 
आईं, एह चार लाइन की कविता में सब सारांश सुनीं-
"गाँव-गाँव में फइल रहल बा, राजनीति के क्लेश।
बाबा लोग की पयलग्गी में, बेआदर सन्देश।।
कहें देहाती बन्द कर$ जा, स्वांग भरल उपदेश।
राष्ट्रधर्म सर्वोपरि राखीं,जातिधर्म ना लेश।।"

सोमवार, 2 अगस्त 2021

भोजपुरी व्यंग्य प्रकाशित 2 अगस्त 21

भोजपुरी व्यंग्य-प्रकाशित 2 अगस्त 2021

भोजपुरी व्यंग्य

नगर-डगर की बात-एन डी देहाती

नगर भले पानी-पानी भईल, उनकी आंख मरल नाहीं पानी....

मनबोध मास्टर इत्मीनान से टांग पसार के सुतल रहलें। इन्द्र की कृपा से बदरा गरगरा के बरसत रहे।सुतला में बरखा बहार वाला सपना देखत रहलें। अचानक देहिं पर शिव जी के गले के हार मास्टर की देहि पर चढ़ि गइल। मास्टर चिहुक के उठलें। आंख मलते पहिला पांव पलंग के नीचे उतारते छपाक.। चप्पल बहि के ना जाने कहां चलि गइल रहे ,आ नाला के पवित्र पानी आ प्लास्टिक के कचरा घर में समा गइल रहे। मस्टराइन ना जाने कबे से फुफती खोंस के घर के पानी बहरा उदहला में लागल रहली। मास्टर के देखते बादर जस फाटि पड़ली- कुंभकरन अस सुतल रहल$ ह, सब सामान नुकसान हो गइल। गाँव छोड़ के शहर में अईला। महानगर में बसि गईला। यह महानगर के हाल त गउओं से बाउर बा। मास्टर बाहर निकरलन। सड़क पर तीन फुट बहत पानी में नगर भरमण कर के लौटलें। मेहरी के सांत्वना देत समझावै लगलन- देख$, तुही नाहीं पानी मे घेराईल हऊ। एमपी साहेब, एम एल ए साहब सबकर घर त पानी मे घेराईल बा। शहर पानी पानी हो गइल बा, लेकिन नगर निगम के नजर के पानी नईखे मरत। शहर त कछार हो गइल बा। पानी त उनहूँ की नजर के नईखे मरत जे विकास के बड़का ढोल पीटत बा। का करबू, चारो ओर त पानिये पानी बा। घाघरा घघाईल बा, राप्ती बढिआईल बा, रोहिन बौराईल बा, गंडक उफनाईल बा, रामगढ़ ताल भी फ़फ़नाईल बा। पानी निकरे के जगह मिलते ना बा। गोरखपुर से देवरिया जाए वाली सड़क पर सिंघड़िया की आगे नाव चले लायक पानी बा। सिंघड़िया ही ना वसुंधरा नगरी, सरजू नहर कॉलोनी, प्रजा पुरम, प्रिंस कॉलोनी, गोरखनाथ नगर, प्रगति नगर, मालवीय नगर,श्रवण नगर......। कहे के मतलब आधा महानगर पानी से घेराईल बा। अब विरोधी लोग कहीहें-सीएम सिटी के ई हाल बा। त टप्प से सत्ता समर्थक बोल पड़िहैं- बसपा आ सपा की शासन में भी इहे हाल रहे। 
"लाज न बा कवनो गतरी, देहाती सुनावें विकास कहानी।
घर घेराईल जेकर बा, झँखत हवें रोज उदहत हवें पानी।
सत्ता बदलले ना सुख मिलल, दुख ही में बीतत बाटे जिंदगानी।
नगर भले पानी-पानी भईल, उनकी आँख मरल नाहीं पानी।।"
हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद