भोजपुरी व्यंग्य
नगर-डगर की बात-एन डी देहाती
नगर भले पानी-पानी भईल, उनकी आंख मरल नाहीं पानी....
मनबोध मास्टर इत्मीनान से टांग पसार के सुतल रहलें। इन्द्र की कृपा से बदरा गरगरा के बरसत रहे।सुतला में बरखा बहार वाला सपना देखत रहलें। अचानक देहिं पर शिव जी के गले के हार मास्टर की देहि पर चढ़ि गइल। मास्टर चिहुक के उठलें। आंख मलते पहिला पांव पलंग के नीचे उतारते छपाक.। चप्पल बहि के ना जाने कहां चलि गइल रहे ,आ नाला के पवित्र पानी आ प्लास्टिक के कचरा घर में समा गइल रहे। मस्टराइन ना जाने कबे से फुफती खोंस के घर के पानी बहरा उदहला में लागल रहली। मास्टर के देखते बादर जस फाटि पड़ली- कुंभकरन अस सुतल रहल$ ह, सब सामान नुकसान हो गइल। गाँव छोड़ के शहर में अईला। महानगर में बसि गईला। यह महानगर के हाल त गउओं से बाउर बा। मास्टर बाहर निकरलन। सड़क पर तीन फुट बहत पानी में नगर भरमण कर के लौटलें। मेहरी के सांत्वना देत समझावै लगलन- देख$, तुही नाहीं पानी मे घेराईल हऊ। एमपी साहेब, एम एल ए साहब सबकर घर त पानी मे घेराईल बा। शहर पानी पानी हो गइल बा, लेकिन नगर निगम के नजर के पानी नईखे मरत। शहर त कछार हो गइल बा। पानी त उनहूँ की नजर के नईखे मरत जे विकास के बड़का ढोल पीटत बा। का करबू, चारो ओर त पानिये पानी बा। घाघरा घघाईल बा, राप्ती बढिआईल बा, रोहिन बौराईल बा, गंडक उफनाईल बा, रामगढ़ ताल भी फ़फ़नाईल बा। पानी निकरे के जगह मिलते ना बा। गोरखपुर से देवरिया जाए वाली सड़क पर सिंघड़िया की आगे नाव चले लायक पानी बा। सिंघड़िया ही ना वसुंधरा नगरी, सरजू नहर कॉलोनी, प्रजा पुरम, प्रिंस कॉलोनी, गोरखनाथ नगर, प्रगति नगर, मालवीय नगर,श्रवण नगर......। कहे के मतलब आधा महानगर पानी से घेराईल बा। अब विरोधी लोग कहीहें-सीएम सिटी के ई हाल बा। त टप्प से सत्ता समर्थक बोल पड़िहैं- बसपा आ सपा की शासन में भी इहे हाल रहे।
"लाज न बा कवनो गतरी, देहाती सुनावें विकास कहानी।
घर घेराईल जेकर बा, झँखत हवें रोज उदहत हवें पानी।
सत्ता बदलले ना सुख मिलल, दुख ही में बीतत बाटे जिंदगानी।
नगर भले पानी-पानी भईल, उनकी आँख मरल नाहीं पानी।।"
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