सत्ता रस की खोज में भौंरा बने राजभर
पांडे एन डी देहाती, स्वतंत्र पत्रकार
कभी यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर आजकल सत्ता रस की खोज में भौरें की तरह कभी इस दल पर कभी उस दल पर मरड़ा रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर पहले बीजेपी के साथ थे। यूपी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। सरकार में सहभागी थे लेकिन विरोध इतना करते रहे कि विरोधी पार्टियां भी पिछड़ गईं। बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन कर लिये।भागीदारी संकल्प मोर्चा की बात करें तो इसमें कुल 10 पार्टियां शामिल हैं। बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, अपना दल (के) यानी कृष्णा गुट, ओवैसी की एआईएमआईएम, प्रेमचंद प्रजापति की पार्टी के साथ ही अन्य छोटी पार्टियां इस मोर्चे में शामिल हैं। ओवैसी के मजनू बने ओम प्रकाश हर जगह हाथ पांव मार रहे। वे उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से भी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ओम प्रकाश राजभर को पसंद न करते हों लेकिन संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ऐसा ताना बाना बुन रहे हैं कि राजभर की घर वापसी हो जाय। दयाशंकर ही राजभर को अपने साथ लेकर स्वतंत्रदेव सिंह से मिलाने गए थे। दयाशंकर सिंह ने कहा कि उनकी कोशिश है कि ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में लाया जाए क्योंकि राजनीति में कोई परमानेंट मित्र या शत्रु नहीं होता। राजभर शुरू से प्रधानमंत्री मोदी के दलित और पिछड़े वर्गों के लिए किए गए कार्यों के समर्थक रहे हैं। ऐसे में वह हमारे साथ दोबारा आ सकते हैं।
बहरहाल अभी बसपा से जितेंद्र सिंह बबलू को भाजपा ज्वाइन कराने का हश्र स्वतंत्र देव सिंह देख चुके हैं। भला हो रीता बहुगुणा जोशी का जिन्होंने अपने प्रचंड विरोध के बल पर जितेंद्र सिंह को पार्टी से निकलवा कर दम लिया। एक बात समझ में नहीं आ रही कि जो ओम प्रकाश राजभर भाजपा और योगी के खिलाफ इतनी बकैती कर रहे उन्हें भाजपा में लाने को स्वतंत्रदेव क्यो आतुर हैं।
ओवैसी, स्वतंत्र देव सिंह के अलावा राजभर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिल लिए। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात एक घण्टे की रही। गठबंधन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
अपने बड़बोलेपन के लिए प्रसिद्ध ओम प्रकाश राजभर तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नेता ही नहीं मानते है। राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए अभी हाल ही में कहा, "योगी साधु बाबा हैं. उन्हें मठ-मंदिर में रहना चाहिए। वह वहीं अच्छे लगते हैं। दरअसल, योगी आदित्यनाथ कोई नेता नहीं हैं। नेता तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती हैं।" राजभर ने कहा कि मायावती और अखिलेश के मुख्यमंत्री काल में विकास कार्य धरातल पर नज़र आते थे जबकि योगी आदित्यनाथ का कोई भी काम जमीन पर दिखाई नहीं देता।इससे पहले राजभर ने दावा किया था कि अगर समाजवादी पार्टी केवल छोटे दलों से समझौता कर ले, तो आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी।
ओम प्रकाश राजभर की काट के लिए भाजपा ने अनिल राजभर को मंत्री बनाया लेकिन जिस प्रकार अपनी बिरादरी पर ओम प्रकाश हावी हैं उनकी तुलना में अनिल नहीं हैं। ओम प्रकाश राजभर सत्ता से बेदखल होने के बाद बेचैन हैं। कभी ओवैसी, कभी स्वतंत्रदेव, कभी अखिलेश से मिलने के पीछे मात्र एक उद्देश्य है कि एन केन प्रकारेण सत्ता का रस फिर मिले।
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