रविवार, 18 दिसंबर 2022

एन डी देहाती: भोजपुरी व्यंग्य 18 दिसम्बर 22

कार पर सवार बा
राशन के दरकार बा

हाल- बेहाल बा / एन डी देहाती

मनबोध मास्टर पुछलें- बाबा ! का हाल बा? बाबा बतवलें- हाल बेहाल बा। कार पर सवार बा, तब्बो राशन के दरकार बा। सब जब आधार से जुड़ल बा। खाता से लेके खेत ले। बही से लेके लॉकर ले। त अंगूठा लगवला की खेल में सरकार काहें फेल बा। सीधा सवाल बा- जब नोकरी में आधार लागल बा, बैंक की खाता में आधार लागल बा, फार्च्यूनर ख़रीदलें तबो आधार लागल, त एही आधार से बनल पात्र गृहस्ती आ अंत्योदय कार्ड में धनवान लोग कईसे कंगाल हो गइल? सरकार केहू के रही, सिस्टम अइसहीं चली। प्रधान आ कोटेदार नामक संस्था की मेल से जवन खेल देश में चलत बा ओके सरकारों बुझत बा। वोट के मजबूरी त, आंख मुनल जरूरी बा। रउरा याद होई, देश में ढेर गैस कनेक्शन रहल। सरकार के गैस बनल त आधार से जोड़ दिहलसि। एजेंसी वालन के डकार निकर गईल। गैस कनेक्शन आधा हो गईल। वोट के लोभी सरकार एह डर से राशन कार्ड के जांच नईखे करावत कि सत्ता घिसक जाई। कुपात्र लोग के राशन दिहला से मुफ्तखोरी आ हरामखोरी बढ़त बा। अब त गावँन में लोग खेत बोवल कम क दिहल। खेती महंगी भईल त बटाईदार भी नईखन मिलत। महीना में कौड़ी के भाव से चावल गेंहू मिल जाई त काहें केहू पसीना बहाई। सरकार के जय जयकार कईल जा। कृषि योग्य भूमि परती-परास कईला से, खाद्यान्न उत्पादन कम कर के, देश के उन्नति की मार्ग  पर आगे बढावला में लागल लोग के कदम हरामखोरी आ मुफ्तखोरी की ओर बढ़त बा। अब त ज्यादातर घर में हाल उहे बा -मुफत के चंदन , घिस मोर नन्दन। पहिले बिना आदत के चंदन चरात रहे। अब बेशर्मी की गंगा में नहा के मुफ्तखोरी की चंदन से चेहरा दमकत बा। देश में कई प्रकार के वाद उतपन्न भईल। अब फोकटवाद के चलन जोर पर बा। देश के बड़का साहब खुद फोकटवाद के बढ़वा देके दूसरा दल की नेता लोग के ज्ञान के घुट्टी कई ढरका पीया दिहलें। जनता भी मगन बा। सब फोकट के मिल जा त बल्ले-बल्ले। बिना खेती-बारी-मजूरी कईले अगर रोटी मिल जा त केहू के जी हजूरी कईला में कवन हरज बा। सरकार के जेतना मुफ़्तवाली योजना बा, दुनो हाथे लुटला के काम बा। नेता लोग के कुर्सी में प्राण बसत बा, त हम्मन के फोकट में सब सुविधा देबे करीहें। जनमते लईकन के मुफ्त के टीका। स्कूल जाते किताब- कपड़ा, बस्ता-जूता मुफ्त। अस्पताल में दवाई,सरकारी ट्यूबवेल से सिंचाई, एम्बुलेंस सहित बहुत कुछ मुफ्त मिलला से अमीर भी मुफ्त में गरीब बन के सरकारी सुविधा के दुहत बाड़न। निमन आ मुंह चिक्कन बने खातिर सरकार बहुत कुछ लुटावत बा। यह लुटवला की प्रक्रिया से फोकटवाद के बढ़ावा मिलत बा। सबके दाता राम के प्रवृति मजबूत होत बा। जरूरत एह बात के बा कि अगर सच में आधार के कुछ आधार बा त कार-कोठी-कटरा वालन के मुफ्तखोरी पर विराम लगावल जा। वास्तव में जवन नागरिक जरूरतमंद हवें, सुविधा उनके दिहल जा। जईसे चार दिन की जीएसटी छापा की शोर में केतना चोर चिन्हा गईलें, ओइसे एक बेर आधार से अगर सब लिंक जुड़ल बा त एकर जांच होखे के चाहीं।

पढ़ल करीं, रफ़्ते-रफ़्ते। फेरू मिलब अगिला हफ्ते।

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