रेस में साइकिल बढ़ चली, हाथी धसल पाताल, पंजा -कमल के का कहीं, झूठ बजावें गाल
भांग के एकै गोली खाते मनबोध मास्टर के ज्ञान क गंठरी भक्क से खुल गइल। भांग की गोली से बोली बइसे बदल गइल, जइसे उत्तर प्रदेश के सत्ता। फगुनाइल अंदाज में होली के बधाई देबे खातिर जीतल-हारल सभी पार्टिन पर कुछ रंग डारत, अबीर-गुलाल उड़ावत, कुछ कबीरा जोगीरा गावत कहलें- जे जीतल उ सकिंदर, जे हारल उ ..। जीते वालन के परिणाम मुबारक, हारे वालन के हरिनाम मुबारक। कांग्रेसियन खातिर बोललें- मम्मी, दीदी, जीजा से भी प्रचार करा के युवराज ‘राज’ ना पवलें। भइया! गांव-गांव घुमला से, कमीज के आस्तीन चढ़ावला से, डायस पर मुक्का मारि-मारि आपन भाषण सुनवला से, गली-गली नवहन से हाथ मिलवला से, दलित की घरे खइला से, रात में मच्छर कटावला से, राष्टपति शासन से डरावला से आ दाढ़ी बढ़ावला से जनता क वोट ना मिलल। बारह तù गंवाई दिहलù, चौदह के बचवला के तैयारी कइला के जरुरत बा। आ ओकरा पहिले कवनो दुलहिनियां देख के शादी रचाके, घर बसा लिहला के जरूरत बा। ‘ बिन घरनी, घर भूत के डेरा’। भाजपाइयन की खातिर बोललें- सब गटक करी। प्रत्याशिन के चयन में एतना देरी कइला से, अपने में टांग खिंचउअल से,बहक-बहक बतिअउल से, संगठन की कमजोरी से, बूथ पर कामचोरी से, रामजी की कोप से ,जवाबी तोप से, पार्टी की कुमति से, ‘बड़कन’ की गति से, शाही के प्रताप से, ‘संतजी’ की श्राप से डूबि गइल भाजपा। हारे को हरिनाम। फिर गोहरावù जय श्रीराम। अब चौदह के चढ़ाई।‘ जे ना मोरे राम के, उ कवना काम के’। बसपाइन की खातिर बोललें- रानी जी, महरानी जी, रहली बहुतै ज्ञानी जी। खुली हाथी लाख की, अब ढह गई तो राख की। हाथी रहे की हाथी दांत, हवा निकर गइले रातो-रात। उनकर शासन अउंस गइल, एही से हाथी थउंस गइल। अब चढ़ि के देखावù छाती पर, जा पार्क में बइठù हाथी पर। माटी मिल गइल गर्व गुमान। फिर पांच साल में होई बिहान। ‘ मनुष्य बली ना होत है, समय होत बलवान। भिलन लुटी गोपियां, वहि अजरुन वहि बान’। सपाइन खातिर बोललें- भइया बहुते-बहुत बधाई। राज मुबारक, ताज मुबारक। जनता के अब लाज मुबारक। अरमान से अधिका पवलù, हाथी के पाताल धरवलù। लोग कहेला यूपी माही। बिहार जइसन शासन चाहीं। शुरुआते में इ का कइलù। झांसी -आगरा झंझट कइलù। बदनामी मिलल इलाहाबाद। बवाल भइल फीरोजाबाद। अपनी लोगन के समझावù। शराफत से अब राज चलावù। साइकिल चढ़ चली जा, थोड़ा बढ़ चली जा। कबीरा सर्र् र ् र्। जोगीरा सर्र् ..
- narvdeshwar pandey dehati ka yah bhojpuri vyngy rashtriy sahara ke 8 march 2012 ke ank me prkashit hai. |
bhaute badiya bat aap ke dwara batawlgailba. ese sab parti ke kuch shikhe ke mili.
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