गुरुवार, 22 मार्च 2012

माया कù छाया हटल, अइलन अब अखिलेश..

मनबोध मास्टर मगन हवें। माया के छाया हट गइल बा। पांच साल से छाती पर बइठल हाथी की हटला से बहुते खुशी बा। ‘अ’ अक्षर के अहमियत बढ़ल बा। अखिलेश भइया मुख्यमंत्री वाला सिंहासन पर बइठ गइल हवें। अवर मंत्री लोग में भी ‘अ’ के बोलबाला बा। आजम खां, अहमद हसन, अंबिका चौधरी, अरिमर्दन सिंह, आनंद सिंह, अवधेश प्रसाद, अरुणा कोरी, अरविंद सिंह गोप..। सचिवालय में अनिता सिंह, आलोक कुमार.। जिलाधिकारी लोग में अनुराग यादव, अनिल कुमार, आलोक तृतीय, अनिल कुमार गुप्त, अनिल कुमार सागर, अमृता सोनी, अरविंद कुमार, अनिल कुमार वर्नवाल, अनिल कुमार तृतीय..। पुलिस के डीजीपी अंबरीश चंद्र शर्मा। चारो ओर ‘ अ’ के बोलबाला। ‘अकार’की राज में अमर अंकल के अभाव बा। भतीजा राजा हो गइल, चाचा फकीरे बनल रहि गइलें। ‘अ’ से शुरू अनुशासन कù पाठ के भी काठ मार गइल बा। ‘अभिभावक जी’ लगातार कहत हवें कि अबकी बार पार्टी के बदनाम करेवालन कर कार्रवाई होई, लेकिन उ हवें कि आगत-अगवानी में एतना गोली दगवा देत हवें कि लोग खोखा बीनते रहि जाता। झंडा लगावला के मनाही बा, लेकिन पांच साल ले हाथीवाला छाती पर मूंग रगरले हवें ,आखिर अपनो राज में कार्यकत्र्ता लोग लुकाइले रही तù कइसे बुझाई कि ‘ राज बदल गइल, ताज बदल गइल, आवाज तù बदल ही जायेके चाहीं। अचानक मनबोध मास्टर की माथा में सरकार के वादा आ घोषणा के तीर नाच उठल। ट्रक से टेबलेट आ लैपटॉप मंगवले काम ना चली, मालगाड़ी से मंगावे के पड़ी। बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त। ना लउकी ना कवनो दाम देबे के परी। बैंक के बैंक साफ, कर्जा माफ। नोकरी चकरी के बना के धत्ता, सबके बंटाई बेरोजगारी भत्ता। दू पीढ़ी की लोग एकै साथे रजिस्ट्रेशन की लाइन में खड़ा होखे लाठी खात हवें। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के अभ्यर्थी लोग हरदी-भांग छाप के घूमत हवें, नवका सरकार बड़ा खातिरदारी करवले बा। अइसने कुछ माहौल में एगो कवित्तई सुनीं-
 माया कù छाया छंटल, अइलें आपन अखिलेश।
 ‘ अ’ अक्षर के बढल अहमियत, केहू ना पाई पेश।।
 अंखियन में सपना सजल, बढ़ल बहुत अरमान।
 कालर टाइट हो गइल, चलीं अब सीना तान।।
-नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के २२ मार्च के अंक में प्रकाशित है .

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