गुरुवार, 8 अगस्त 2013

सनकी कुक्कुर फेरु बा कटले, मानी ना इ खाली डंटले..

मनबोध मास्टर पाक की दुस्साहस आ सरकार की शिखंडीपन पर माथा पिटत हवें। हाय! इ का भइल? फिर मरा गइलन हमार सैनिक। देश की ऑन पर शहीद हो गइलन जवान। संसद में फेरु बहस जारी हो गइल। अइसन बहस जवना में शहीदन के बलिदान पर भी सदस्य लोग एकमत ना भइलें। केतना घटिया रील घूमत बा नेतन की दिमाग में। मंत्री बयान देत बा- ‘ फौजिन की ड्रेस में आतंकवादी रहलन, जवन हमला कइलन’। छी:, थू। एक बेर ना हजार बेर तोहरा येह बयान पर थूथू। हमरा देश की सीमा पर कबो चीन चढ़ता, कबो पाक बढ़ता। हमरा देश के हाल त ‘ अबरा के मेहरी’ जस हो गइल बा। देश की नेतृत्वकारी शक्ति की क्षमता पर प्रश्न चिह्न बा। सीमा की सुरक्षा के बेहतर इंतजाम ना क पावत हवù त देश के अपनी रहमोकरम पर छोड़ द लेकिन शर्मनाक बयान त मत दिहल करù। पाकिस्तानी घात लगा के हमला करत हवें। हमार पांच जवान शहीद हो गइलन। पाक की येह कारनामा पर इहे कहल जाई- ‘सनकी कुक्कुर फेरु बा कटले, मानी ना इ खाली डंटले।’ अइसन सनकी कुक्कुरन के दौड़ा के मार दिहल जाला। केइसन अरमीशन-परमीशन। पाक के औकाते केतना बा? हमरा उत्तर प्रदेश के लरिका अगर एकै साथ मूत दिहें त बुझीं पाकिस्तान बहि गइल। सरकार के शिखंडीपन देखीं, उहे घिसल-पिटल बयान-‘ हम शांत नहीं बैठेंगे’। करति का बा सरकार? शरीफ की अइसन शराफत से दोस्ती। इ हाथ मेरावत हवें, उ छूरा घोंपत हवें। पूरा देश सैनिकन की हत्या पर उबलत बा आ मंत्री जी पाकिस्तान के क्लीन चीट देबे पर लागल हवें। षड़यंत्रकारी से कइसन दोस्ती? विश्वासघाती पर कइसन भरोसा? सीमा पार से निरंतर गोली-बारी, फिर कइसन संघर्ष विराम? बंद करù बात-चीत। बस अब जंग के जरूरत बा। सिहुर-सिहुर कइला से, कुक्कुर के पूंछ भला सोझ होई मलला से। दुष्ट पाक मानी अब सिकमभर कंड़ला से। पाक की औकात पर, ओकरी कुराफात पर, रोज की आघात पर, सीमा की हालात पर बस इहे कविता सटीक बइठी-

यूपी की लरिकन की मुतले से बहि जाई, 

नापाक पाक के ,बस एतने औकात बा।

 मनबढ़ बा एतना, टेढ़ कुक्कुर की पूंछ जेतना,

 छह माह में कइलसि, सरसठ बेर उत्पात बा।। 

केतना लपेटाई तिरंगा में शहीदन के शव? 

घरी-घरी घात से, लागत आघात बा। 

आर-पार चाहत बा, जम करके एक बार, 

सीमा से सटले, कुछ अइसने हालात बा।।



- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के ८/८/१३ के अंक में प्रकाशित है।

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