गांधी टोपी कपारे धइला से
महात्मा थोड़े हो जइहें
हाल बेहाल बा/ एन डी देहाती
मनबोध मास्टर पुछलें- बाबा! का हाल बा? बाबा बतवलें-हाल त बेहाल बा। असो 26 जनवरी आ सरस्वती पूजन एके दिन पड़ल। भारत के शान तिरंगा लहरल। भारत माता के जिंदाबाद भईल। कोर्ट कचहरी से लेके थाना पुलिस ले सब ओर जनगणमन गूँजल। गांव-गांव सरस्वती माई धरईली, पूजईली। सरस्वती माई के कुपुत्तर लोग डीजे पर अईसन -अईसन गाना बजावल लोग की हम लिख भी ना सकेलीं। देश आजादी के 74वॉ वर्षगांठ मनावल। देश के हाल का बा? यह पर विचार कईला के जरूरत बा। गैर बराबरी मिटावला में 75 वर्ष बीत गईल। तबो देश के चालीस फीसद धन-दौलत एक फीसद लोग की लगे ही बा। साठ फीसद धन में 99 फीसद के जीवन दिनचर्या चलत बा। कौन बराबरी भईल? खुद सोच लीं। गरीबी एतना मिटल की अबो सरकार के मुफ्त राशन पर लोग के पेट पलत बा। कमीशनखोर नेता, जवन ठेकेदारन से 40 फीसद कमीशन लेला उहो कपार पर गांधी टोपी पहिन के झण्डा लहरावत बा। सत्य अहिंसा पर लम्बा चौड़ा हाँकत बा।ओहर बड़का अधिकारी अपराध पर अंकुश लगावला के संकल्प लेता। एहर दिन दहाड़े लूट होता। गाँव-गाँव चोरी होता। रिपोर्ट ना लिखे के कसम खाके कुर्सी पर बईठल थानेदार आ ओकरा दरबार में जयकार करत तेलबाज पत्रकार दुनों घटना छिपवला में लागल बाड़न। एगो बाप अपनी बेटी से छेड़खानी पर न्याय के गुहार करत बा, आ ईमानदार थानेदार आरोपी से उगाही करके सरपट दफा 151 में मामला रफा-दफा करत बा। सरकार चहुतरफ़ा विकास के गीत गावति बा। विकास की नाम पर सड़क के तारकोल उधिया गईल बा। गिट्टी छितिरायल बा। लोग ढहत बा। अस्पताल में बड़े-बड़े बिल्डिंग खड़ा बा। जिला में ले मेडिकल कालेज बन गईल बा। इलाज ना होई खाली रेफर खातिर डाक्टर बईठल हवें।नाली-नाबदान के दुर्गंध आ आसपास कूड़ा के ढेर से उठत बदबू में आम आदमी हाफ़त बा। छिड़काव की नाम पर पैसा भजावल जाता। प्रदेश से लेके देश तक बारी-बारी लूटे के तैयारी में लागल रंग-बिरंगा, बहुरंगा सियार हुंवा-हुवाँ करत हवें। सोने के चिरई कहाये वाला अपनी देश के जेतना गोरका अंगरेज ना लूटलें ओसे ज्यादा आजादी की बाद खद्दरधारी लूट मरलें। देश में बहुत जांच चलत बा। बहुत घोटाला भी होता। ई देश अइसही चली। दु प्रकार के कानून, अपना खातिर दूसर, दूसरा खातिर दूसर। सेवा के मौका मांग-मांग मेवा खात मोटात जनप्रतिनिधि नाम के जीव अपने पेंशन के त्याग ना करी लेकिन कवनो कर्मचारी के पेंशन छीने के कानून जरूर बना दी। देश से भ्रष्टाचार मेटावल जाता, बहुत हद तक मेटल भी बा। भ्रष्टाचार त लोग की आचार, व्यवहार, नेति, नियम, कानून में रचि-बसि गइल बा। साँच कहीं त कंकरी के चोर कटारी से मरात बा।बाहुबली के तुरन्ते जमानत आ गरीब के जेल में सड़त बहुत देखल गईल। देश खोंखड़ होता, घाव गहिर होता। अंग्रेजन की बनावल कानून पर अबो थाना, पुलिस, कोर्ट, कचहरी चलत बा।
पढ़ल करीं रफ़्ते-रफ़्ते। फेरू मिलब अगिला हफ्ते।।