२ जुलाई चौरी चौरा कांड के सेनानियों का वलिदान दिवस है . यु पी में माया सरकार स्मारकों पर बहुत ध्यान दे रही है . लेकिन देश के गौरव चौरी चौरा का स्मारक भूल गयी है . ४ फ़रवरी १९२२ को चौरी चौरा के किसानो ने एक इतिहास रच दिया था . स्वाधीनता की लडाई में चौरी चौरा थाना फुक दिया गया था . आज से ८८ साल पहले २ जुलाई १९२३ को चौरी चौरा कांड के क्रांतिवीरो को देश के विभिन्न जेलों में फासी पर लटका दिया गया . चौरी चौरा छेत्र के १९ क्रांतिकारियों को फासी हुई थी .
इन क्रांतिकारियों को दी गयी थी फासी
१- अब्दुल्ला उर्फ़ सुकई
२-भगवान
३-विकरम
४-दुधई
५-कालीचरण
६-लाल्मुहमद
७-लौटू
८-महादेव
९-लालबिहारी
१०-नज़र अली
११-सीताराम
१२-श्यामसुंदर
१३-संपत रामपुरवाले
१४-सहदेव
१५- संपत चौरावाले
१६-रुदल
१७-रामरूप
१८-रघुबीर
१९- रामलगन
क्रांतिकारियों की याद में चौरी चौरा में शहीदों की मुर्तिया लगायी गयी थी . खुराफाती बंदरो ने ५ मूर्तियों को तोड़ दिया. लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया .क्रांतिकारियों के शौर्य गाथा केप्रतीक ३२ फिट उचे स्मारक को देख कर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है , लेकिन यहाँ की दुर्दशा देख सर भी शर्म से झुक जाता है .शहीदों की मुर्तिया यही कहती है -
<किसी मर्तवे की ख्वाहिस न मुकाम चाहते है .जो बदल सकें जमाना वो निजाम चाहते है >
नर्व देश्वर पाण्डेय देहाती , रास्ट्रीय सहारा , गोरखपुर
sachche shahidon ko naman.makkaron ko dhikkar
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