शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

धरती के भगवान जबसे बिकने लगे ..

डाक्टर्स डे पर यह सोचेते ही यही उत्तर मिला . धरती का भगवान बिकता है . सेवा का भाव समाप्त हो चूका है .फिर भी नेक लोगो की कमी इस धरती पर नहीं है . इन नेक लोगो में गोरखपुर के  कुछ डाक्टर है , जिन्हें गरीबों का  मसीहा कह सकते है. 82 वर्षीय नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. नरेन्द्र मोहन सेठ, महानगर में पिछले 58 साल से लगातार असहायों, मजदूरों, रिक्शा चालकों व कुलियों का इलाज मुफ्त कर रहे हैं। शहर का प्रतिष्ठित सीतापुर आंख अस्पताल डा. सेठ की ही देन है। डा. सेठ के अनुसार उन्होंने शहर के रीड साहब धर्मशाला में दस कमरों के क्लिनिक से शुरुआत की। यहीं से नए अस्पताल के निर्माण की नींव रखनी शुरू की। यहां चैरिटी बाक्स रखा जिसमें इलाज कराकर लौटने वाले लोग स्वेच्छा से धन देते हैं। इसी धन से 1959 में सीतापुर आंख अस्पताल का निर्माण हुआ। इस अस्पताल में भी वह लगभग तीस फीसदी मरीजों का इलाज मुफ्त में करते रहे। 1991 तक सीतापुर अस्पताल में सेवा में बाद अब बेतियाहाता में अपनी क्लिनिक में मरीज देखते हैं। डा. सेठ की राह पर ही चलते हुए वरिष्ठ सर्जन डा. आनन्द मोहन पाठक ने बीते साल में बारह गरीब मरीजों के आपरेशन मुफ्त में किया। इसमें पित्त की थैली, गुर्दे सहित अन्य आपरेशन शामिल हैं। अब एक कदम आगे बढ़कर डा. पाठक डाक्टरों की एक टीम के साथ अपने क्लिनिक पर हर रविवार को गरीब मरीजों को मुफ्त देख रहे हैं। यहां मरीजों को देखने के बाद उन्हें बीमारी के अनुसार विभिन्न विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों के पास रेफर कर दिया जाता है। डा. पाठक के अनुसार उनके साथ महानगर के दूसरे वरिष्ठ चिकित्सक भी जुड़ रहे हैं। गरीबों की सेवा का यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा। इसी तरह सर्जन डा. सिद्धार्थ अग्रवाल व उनकी पत्‍‌नी स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. मीता अग्रवाल शहर के जेल रोड स्थित अपने नर्सिग होम में हर मंगलवार को मरीजों को मुफ्त देखते हैं। आर्यन अस्पताल के फिजीशियन डा. डी.पी. सिंह भी हर रविवार को दोपहर बारह बजे से अपरान्ह छह बजे गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज करते हैं।डाक्टर वाई डी सिंह का कहना है की अज के समय में डाक्टरी पेसे में भ्रस्टाचार बढ़ गया है .डाक्टर आंनंद सिंह के मुताबिक अछे व ख़राब लोग हर जगह है .

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