राम कुमार दिल्ली से एक सवाल उठाए है
सांसद और पत्रकार तरुण विजय : हिंदू राष्ट्रवादी का ये इश्क महंगा पड़ा
अपनों पे सितम, गैरों पे रहम। एक मुस्लिम महिला के प्रेमपाश के कैदी हिंदू राष्ट्रवाद के प्रवक्ता श्रीमान तरुण विजय का कच्चा चिट्ठा आखिरकार जनता के सामने आ ही गया। दिल्ली से लेकर भोपाल और यूरोप तक जिस शेहला मसूद के साथ रंगरेलियां मनाई गईं, वो शेहला मसूद किसके हाथों कत्ल हुई, ये सवाल तो बाद का है।
पहला और सबसे ख़ास सवाल है कि हिंदू राष्ट्रवाद का पहरुआ आखिर किसके मोहपाश में बंधा अपनी हिंदू बीवी और बच्चों को सड़क पर फेंकने को आमादा हो गया। जिस श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन के निदेशक के तौर पर तरुण विजय ने बीजेपी में पारी शुरू की, उस फाउंडेशन के कार्यक्रमों के आयोजन का ठेका किसी स्वयंसेवक के द्वारा संचालित संगठन या संस्था को देने की बजाय शेहला मसूद की इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को ही तरुण विजय ने क्यों सौंपे रखा। पुलिस जांच में तमाम बातें बेपर्दा हो गई हैं/ दोनों के बीच मुलाक़ातों का सिलसिला काफी बरस पहले शुरु हुआ और बात शादी तक पहुंच रही थी, अपनी हिंदू पत्नी वंदना विजय को तलाक देने की तरुण विजय की तैयारी भी मुकम्मल थी, ये तमाम चौंकाने वाली बातें मीडिया के जरिए छनकर जनता तक पहुंच गई हैं। बीते तीन सालों से तरुण विजय के भ्रष्टाचार की ख़बरें लगातार मीडिया में सुर्खिया बनीं। ख़ास तौर पर जब आरएसएस ने उन्हें अपने मुखपत्र पांचजन्य के संपादक पद से विदा किया। तब लोगों को लगा कि तरुण विजय का सूर्य अस्त हो गया लेकिन दिल्ली की सियासत में गहरी पैठ रखने वाले तरुण विजय इतनी जल्दी हिम्मत हारने वाले नहीं थे। उन्होंने एक एक कर आरएसएस में अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाना शुरू किया। शुरूआत आरएसएस के उस प्रचारक से हुई जिसने तरुण विजय के खिलाफ आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत को जांच रिपोर्ट सौंपी थी।
ये जांच तरुण विजय द्वारा पांचजन्य के संपादक पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये का वारा न्यारा करने से संबंधित थी। इस बारे में मार्च 2008 में पंजाब केसरी, द स्टेट्समैन, इंडिया टूडे, आऊटलुक समेत तमाम अख़बारों में खबरें प्रकाशित हुई थीं । दरअसल ये खबरें उस जांच रिपोर्ट से छनकर आई थीं जिसमें आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक दिनेश चंद्र ने तरुण विजय के खिलाफ जांच की और आरोपों को सही पाया।
जिंदगी भर संघ का गीत गाने वाले तरुण विजय को क्या पुरूष मित्र कम थे जो महिला मित्र की जरूरत पड़ गई। वक्त चिंतन और आत्ममंथन का है, बीजेपी के लिए भी और आरएसएस के लिए भी। ऐसे व्यभिचारी चरित्र वाले शख्स को और कब तक बर्दाश्त करेंगे?
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आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद मर्डर केस में बीजेपी सांसद तरुण विजय से भी पूछताछ होगी। मध्य प्रदेश पुलिस उनसे पूछताछ के लिए दिल्ली आएगी। तरुण विजय ने भी यह स्वीकार किया किया है कि उनके शेहला मसूद के साथ बेहतर संबंध थे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि इस मामले में मुझे जो कुछ भी कहना होगा मैं जांच एजेंसियों के सामने कहूंगा। उधर, इस मामले में बीजेपी सांसद का नाम आते ही कांग्रेस ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग भी शुरू कर दी है।
जवाब देंहटाएंतरुण विजय को क्या पुरूष मित्र कम थे जो महिला मित्र की जरूरत पड़ गई ?
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