गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

आई तनिका हाथ सेंक लीं..


मनबोध मास्टर हिलत-कांपत, खोंखत-खांखत कइसो रजाई से बाहर निकरलें। घर से बहरियाते कोहरा की मार से करेजा कांप गइल। नगर निगम बहुत उदारता देखवलसि। एतना लमहर-चाकर महानगर कहायेवाला शहर में छह जगह अलाव जलवा दिहले। रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, जिला अस्पताल पर पचास-पचार किलो के लकड़ी के गट्ठर गिर गइल। अलाव जरावल बहुत पुण्य के काम ह। ठंड से मारल मनई आग सेंक के जीवन रक्षा करेलन लेकिन बहुत लोग अलाव की आंच से हाथ सेंकला से ना चुकेलन। अइसन लोग के ‘ हथसेंकवा’ कहल जाला। पिछला साल कुछ ‘ हथसेंकवा’ रात के पिकप लेके निकरल रहलें। पिकप पर एक ड्रम पानी आ एगो मग्गा। जहां भी अलाव लउके, गाड़ी रोक दें। पानी से तरप्याम। झट से लकड़ी बुझाम। लकड़ी गाड़ी पर लदाम फिर भाग जाम। राजघाट पर लकड़ी बिकाम, पैसा से जेब धराम। अलाव जलावे आ जलवावे के भी एगो मैनेजमेंट होला। झोपड़पट्टिन की आरी-पासे अलाव अइसे भी ना जरावल जाला, कहीं आग पकड़ ना ले और झोपड़ी स्वाहा न हो जा। अखबारन की दफ्तरन पर अलाव जरावल येह लिए भी जरूरी रहेला कि पत्रकारन के नजर बने आ खबर बने। कुछ जबरा लोग सार्वजनिक स्थल से लकड़ी लूटला के अभियान चलावेलन। काहें कि ठंड की सीजन में बेर-बेर पॉकिट में हाथ डलला आ निकरला के दृश्य अक्सर पुलिस बूथ पर लउक जाला। ईधन की महंगाई से परेशान कुछ मेस चालक भी रात में ‘ हथसेंकवा’ हो जालन आ चौराहा के लकड़ी चट्ट से किचेन के यात्रा कर लेली। वइसे त ठंड प्रकृति आ मौसम के चक्र के परिणाम ह लेकिन ठंड से बहुत फायदा भी होला बहुत लोग ‘ हथसेंकवा’ बन जालें। अलाव जलावे के लकड़ी की खरीद- फरोख्त में भी हाथ सेंके के मौका मिलेला। ओदा लकड़ी सूखा के भाव। सूखा लकड़ी त रात भर टूल्लू पाइप से लकड़ी भेंवला के इंतजाम। मुंह तोपना सीजन। चोरन के लहान। समाजसेवा के भी भरपूर अवसर। कंबल बांट के चाहें अलाव जलवा के फोटो अखबारन में छपवावे के लहान। ठंड से एतना मरलें., ओतना मरलें.., प्रशासनिक लापरवाही जइसे सैकड़ों वयान। लेकिन एगो सवाल, ठंड से मरल केतना मनई के पोस्टमार्टम भइल? मामला फुस्स। एगो कविता- 
आई तनिका हाथ सेंक लीं, मौसम आइल अलावे के।
 बेंच के लकड़ी जेब भराई, भले ना मिली जलावे के।।
 का दइब इ जाड़ा भेंजलन, गरीबन के ही मुआवे के।
 हो जाई तैयार पंचों, फिर अब लाश गिनावे के।।
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 19 /12 /13 के अंक में प्रकाशित है।

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