मनबोध मास्टर राजनीतिक निष्क्रियता, प्रशासनिक अकर्मण्यता, आर्थिक अस्थिरता
से उपजल महंगाई आ सामाजिक जीवन में डेग-डेग पर भभोरत भ्रष्टाचार से बहुत
दुखी हवें। थोड़का सा सकुन मिलल कि दिल्ली में आम आदमी अपनी ताकत के एहसास
करवलें। नेता लोग की खिलाफ उपजल गुस्सा वोट बन के गिरल त राजनितिक पंडितन
के बोलती बंद हो गइल। राजनितिहन के जाति, धर्म आ क्षेत्रियता के फार्मूला
फुस्स हो गइल। नया जोश, नयी उम्मीद, नयी ताकत से उभरल आम आदमी पार्टी।
राजनीति के मुलम्मा चढ़ते आप नेता के बोल भी राजनीतिक हो गइल। सच कहीं त
लगता पढ़ाई की समय में बहुतन की तरह खूब विद्या माई के किरिया खाये वालन की
लिस्ट में अव्वल रहल होइहन केजरीवाल। दिल्ली में विधान सभा के चुनाव
परिणाम आइल त पहिले आप, पहिले आप के सुर चलल। केजरीवाल साहब अपनी बच्चन तक
के किरिया खइलें। ना समर्थन लेइब, ना देइब। जवना कांग्रेस की भ्रष्टाचार के
करिखा से करिया बुझत रहले उहे आंख के अंजन हो गइल। भाजपाई लोग पूछत बा- ‘
कहां गइल किरिया-कहट?’ लोग कहत बा- ‘सूप हंसे त हंसे चलनियों हंसति बा जवना
में बहत्तर गो छेद’। केजरीवाल अपनी बच्चन के कसम खइलें त का भइल, भाजपाई
लोग त ‘ सौगंध राम की खाते हैं.’ भइया लोग रामजी के भी बदनाम क दिहलें।
राजनीति अगर सब जायज बा त केजरीवाल के कसम भी नाजायज ना बा। लगत बा
केजरीवाल साहब ‘ जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी कीन्हों’ की तर्ज पर चलत हवें।
भ्रष्टाचार मेटावे खातिर ना सरकारी मोटर चाहीं, ना सरकारी बंगला, ना
सुरक्षा, ना हूटर , ना शूटर। बस चाहीं त एगो सरकार। जवना के बना के
व्यवस्था सुधारल जा सके। अगर ‘आप’ के सरकार दिल्ली में फेल त देश में साफ।
अगर दिल्ली में सही त खाता न बही पूरा देश में ‘आप’ ही रही। एगो सावधानी
बहुत जरूरी बा। कुछ घुसपैठिया भी लागल हवें। दामन के दाग छिपवले ‘आप’ में
समाये की फिराक में लगल घुसपैठियन से सतर्क रहला के जरूरत बा। ‘आप’ सरकार
बनावत हई। आम आदमी आपन समर्थन रउरा के दे देले बा। अब हर काम खातिर जनमत
संग्रह कराइब त फैसला में देरी होई। खरमास में कवनो नया काम ना होला लेकिन
दिल्ली में नवकी सरकार बने जात बा। लोग के अपेक्षा बा ‘नायक’ पिक्चर की
हीरो जइसन मुख्यमंत्री के। अब जवन वादा कइलें ओके निभावें। ज्यादा समय
लिहें त समय करवट ले ली। झाड़ू-पंजा प्रेम की नवकी सरकार के शुभकामना की
साथे इ कविता-
दि ल्ली में बने जात बा, ‘आप’ के सरकार।
चारों ओर से लोग करत
बा, ‘आप’ के जय जयकार।।
कांग्रेस की कूटनीति से देखीं , केतना बचत बा ‘आप’ ।
आज त सबकर बाप बनल बा, कल हो ना जाये फ्ल्ॉाप।।
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती का यह भोजपुरी व्यंग्य राष्ट्रीय सहारा के 26/12/13 के अंक में प्रकाशित है .
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