नगर -डगर की बात/एन डी देहाती
कोटा के राशन ले आवें, मोदी छाप की झोरा में
मनबोध मास्टर कार पर सवार होके कोटेदार की दुआरी पहुँचलें। कोटेदार एगो गरीब मनई के झपिलावत रहे- कुकुर अईसन लार चुआवत चलि अईले। तोरा लगे कारड- ओरड हइये नईखे। हम कहाँ से राशन देईं। गरीब गिड़गिड़ात रहे, लइके उपास करत हवें। कवनो व्यवस्था क द भईया। कठकरेज कोटेदार ना पसिजल। खैरात बंटाता एईजा। चल भाग। गरीब मुँह ओरमवले कोटेदार की दुआर से चलि गईले। मास्टर के देखते कोटेदार चहक के बोललन-आईं आईं, ऐह बेरी सरकार राशन की साथे-साथे झोरवो देले बा। मोदी छाप झोरा में मुफुत वाला राशन लेके मास्टर गाव की बहरा किराना की दुकान पर गईलें। राशन बेच के सरकारी ठेका पर जाके देसी मार के मगन हो गईलें। गरीब प्रधान जी की दुआरी पहुंच के गिड़गिड़ात रहे। हमार कारड बन जाइत, त हमहुँ राशन उठइती। प्रधान के पारा चढ़ि गइल। ओट हमरी विरोधी के दिहल$ त ना बुझाईल की हमरो जरूरत पड़ी। अबे सरकार नया कारड बनावला पर रोक लगवले बा। ई बात सुनी के अपनी गरीबी पर आंसू बहावत गरीब अपना घरे चलि गइल। प्रधान जी अखबार हाथ मे लिहले बड़बड़ाये लगले- ई आधार वाली बेमारी बड़ा बाउर बा। बैंक में आधार, कार्ड बनावला में आधार, मोटर, गाड़ी, जमीन, जायदाद ख़रीदला में आधार। अब देखीं किसान के आपन गल्ला बेचलों में आधार। धत तेरी आधारे के। प्रधान के पड़ोसी बोल पडलें- ई चोरबाजारी के व्यवस्था आधार से ही सुधरी। देखीं, अपना यूपी में 64 हजार लोग आधार से ही धरा गईले कि ई लखपतिया गरीब हवें। कोटेदार की मशीन में अंगूठा लगा के पांच -पांच किलो राशन उठावे वाला लोग सरकारी गोदाम पर तीन-तीन लाख के गल्ला बेचले बा। अब सब सुधर जाई। कोटेदार आ प्रधान लोग के चोरी आ लखपतिया गरीब के बलजोरी,सब कर थाह लाग जाई। पड़ोसी की बात पर प्रधान और भड़क गईलें- हं, हं प्रधनवे आ कोटेदरवे खाली चोर बाड़ें। जवना नेताजी का दिल्ली की लुटियंस में तीन सौ करोड़ के बंगला किनाईल ह उ लोग बड़ा ईमानदार बा। साढ़े चारे साल में एतना कमा लिहलन। हम्मन के जांच पर जांच होला। नेता लोग के जांच काहें नईखे होत।
कोटा के राशन ले आवें, मोदी छाप की झोरा में।
कई लाख के गेहूं बेचें, भरि भरि के बोरा में।
अईसन ई खाद्यान्न व्यवस्था, कोटेदार की कोरा में।
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