शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

तोहरा येह सिद्धान्त पर, हमरो आवे हसीं



तोहरा येह सिद्धान्त पर, हमरो आवे हसीं

रउरो में कवनो के सींग कबो धंसी...

रउरी सिद्धान्त पर हमरा हसी आवत बा । रउरा बहुत बड़वर पशु प्रेमी हईं (पता ना मनई से प्रेम ह.. कि ना) रउआ हाईकोर्ट से मुकदमा दर्ज करावत हई । नगर निगम के महापौर अन्जु चौधरी, नगर आयुक्त राजमंगल, पूर्वनगर आयुक्त वीके दुबे सहित तीस लोग पर मुकदमा दर्ज करे के आदेस दिहलसि। आरोप बा कि 2007 की पहिले से लेके अबतक दस हजार गोवंशीय पशुधन के क्रुरता पूर्वक पकड़ के काजी हाऊस में बन्द क... दीहल बा। रउरी पशु प्रेम के बंदगी बा। हकीकत ई बा कि महानगर के सड़कन पर अबहीनों दस हजार से ऊपर की संख्या में छुट्टा जानवर घुमत हवें। हार्न के पों पों बाजत रहे, लेकीन ऊ नन्दी महाराज लोग पगुरी कइला में लागल रहेला। जाम के झाम में भी येह लोग के बहुत योगदान बा। सड़क पर जगह-जगह मुफ्त में कइल गोबर पर जब कौनो चरपहिया के चक्का चढ़े ला त बगल से गुजरत बाइक सवार चाहे पैदलिहा मनई के कपड़ा पोतनहर अइसन हो जाला। सब्जी मार्केटन से आसमान की भाव चढ़ल तरकारी खरीद के बहरियात कवनो माई-बहिन पर के झपट्टा मार के चौपाया गुण्डा चबा जालन त ओह घर में 'रोटी प्याज' के ही आसरा रहि जा ला। शहर के पॉस इलाका में घूमत टहलत कउनो बड़मनई के पिछवाड़ा में सींग लगा के उलाटत शायद रउरा ना देखले हईं। यूनिवर्सिटी परिसर में बिगड़ैल सांड़ जब कउनो छात्रा के चहेंट ले ला अ बेचारी के हाथ से कापी किताब छितरा जा ला। जान बचावल मुश्किल हो जाला ओह दृश्य के रउरा ना देखले होखब। कबो कबो सड़क पर सांड़न के जंग अ खुरचारी दौड़ में राहगीर भी गंतव्य तक ना पहुंच के अस्पताल पहुंच जा ला। अइसन बहुत उदाहरण बा जवना से पशु के प्रति प्रेम ना जागि सकेला। शहर के चर्चित चितकबरा, कनटूटा, लंगड़ा, भुंवरा, काना, कैरा, गोला, घवरा में कवनो से रउरा प्रेम ना देख सकेलिन। इ कवनो आतंकवादिन से कम ना हवें। रउरा बहुत बड़वर पशु प्रेमी होइब, हम ना जानत हईं। लेकिन अपना आहाता में केतना बीमार, अचलस्त गोवंशी के दवा-दारू, खरी भूंसा के इंतजाम कइले हईं एहुके खुलासा क के समाज के सामने रख दीं। पशु, पशु होलें। मनई के प्रति प्रेम भाव देखाईं। जवन पशु खूंटा से बन्हि के ना रहेलन उ अवारा कहल जालन। उनकर असली जगह जंगल ह। जहां जंगलराज चलेला। गोरखपुर शहर ह, महानगर ह। एइजा नगर निगम के भी कुछ नियम बा। नागरिकन की सुरक्षा खातिर यदि अवारा पशुन पर डंडा चलता त कवनो बाउर नेइखे होत। अबे बहुत ढीलाई बा। अगर सही में अवारा पशु काजी हाउस में बंद रहितन त सड़क पर ना दिखतन। आंख खोलीं, सड़क पर जानवरन के 'डाराज' देखीं, ओकरा बाद कवनो मनई पर मुकदमा ठोंकीं। हमरा त रउरी येह सिद्धांत पर आवता हंसी, रउरो में कवनो के सींग कबो धंसी।।                          
N.डी. देहाती 

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