रविवार, 28 अगस्त 2022

भोजपुरी व्यंग्य: 26 अगस्त 2022

तीन मंत्री अवरी जनलें, हमरे जिला के हाल

हाल-बेहाल बा / एन डी देहाती


मनबोध मास्टर पुछलें-बाबा! का हाल बा? बाबा बतवलें- सब चकाचक बा। चश्मवे के फेर बा। जे सरकार में बा ओकरा मिसिरी लउकत बा,  जे विपक्ष में बा ओकरा फिटकरी लउकत बा। दरअसल जवन बा तवन ना मिसिरी ह न फिटकरी ह। उ ह नमक के ढेला। जवन गला देले बा पूरा सिस्टम आ समाज के। जिला के जनता सूखा से परेशान बा। खेती-बारी वाला मंत्रीजी सूखाग्रस्त भी ना घोषित करा पावत हवें। नहर की अंतिम छोर तक पानी भले नईखे पहुँचत किसानन की आँखी में लोर जरूर पहुंच जाता। सरकारी खाता-बही में बिजली बीस-बाईस घण्टा मिलत बा। गावँन में त बिजुलियो बिला गईल बा। अइसने कुल माहौल में एके संगे तीन जने मंत्री जी लोग जिला में हाल-चाल देखे आईल रहलें। मंत्रीजी लोग की पहिलही नजर में असप्तलवे बेमार मिल गईल। मंत्री जी के बीपी बढ़ गईल। सफाई वाला ठेकेदार पर जुर्माना लग गईल। स्वास्थ्य विभाग के करिया काम मंत्रीजी लोग का ना लउकल। स्टेचर की अभाव में कांधे पर मरीज के लदले परिजन ना दिखलें? पत्रकार जब सवाल कइलें कि एगो कोटेदार की घरे तेरह अंत्योदय कार्ड पर कौन कार्रवाई भईल? जिला में चल रहल अवैध अल्ट्रासाउंड की दुकान पर कब कार्रवाई होई? अईसन दर्जन भर सवाल पर मंत्री लोगन के चुप्पी। अब शिक्षा विभाग के बारी आईल। इंदुपुर स्कूल के लड़िकन से कुछ पुछलें। अब भला लईकन के पढावल गईल रहित तब न जवाब बतईते। मंत्री जी! सरकारी स्कूलन में अगर पढईये होइत त खांची भर कान्वेंट काहें खुलित। पढ़ाई में ना, फर्जी मास्टरन की तैनाती में जिला अव्वल ह अव्वल। मंत्री जी अटैची की कारखाना पर खुश हो गईलन। तीन सौ नकदी देके एगो अटैची भी ख़रीदलन। सबका पता बा कि नेता लोग का कईसन अटैची पसन्द होला। जिला के हाल पर चाहें केहू मुंह फुलावे चाहे गाल बजावे। सच पूछीं त हाल ठीक नईखे। जगह-जगह दारू के फैक्ट्री आ गांजा की दुकान से युवा पीढ़ी बर्बाद होत बा। कानून व्यवस्था के हाल त और खराब बा। गरीब कमजोर आदमी अपनी ही जमीन पर मकान बनवावत बा त दबंगन की गुंडई से एके घण्टा में देवाल चिकन। कार्रवाई की नाम पर दफा सरपट। मतलब कोरम पूरा। सीना फूला के दरोगा बोलत बा, एक सौ एक्कावन कर दिहलीं।  जाति, धर्म, मजहब की हिसाब के न्याय दिआई? चोर के चोर कहे में मुंह में दही जाम जाई। पुलिस भी तब जागेले, जब पूरा कानून के कचूमर निकल जाला। अब देखीं न, फिरोजाबाद में एगो बनबढ दू साल से चार बहिनन से छींटाकशी करत रहे। कई बेर पुलिस में शिकायत की बाद भी जब पुलिस ना जागल त चारो बहिनिया लतखोरई करे वाला के कुत्ता के मौत मार डलली। गली में लाश मिलल त पुलिस के जांबाज बहादुर लोग जाग गईलें। जब हत्या हो गइल त कानून जाग गईल। चारों बहिनी के गिरफ्तार क के जेल भेज दिहलें। अरे भईया! जहिया अपनी इज्जत के गुहार लगावत रहली तहिया काहे ना जगला?
नेताजी कहत हवें-सरकार किसानन की साथ खड़ा बा। काहें मूरख बनावत हईं सरकार। खेत में खड़ा होखब त चौंहा आ जाई, नाचि के गिर जाईब। गोरकी देहिं झाँवर हो जाई। चुप मार के एसी में बईठल रहीं। दईब त सब सुखाई के सुख छीन ही लेले बाड़न। अब रउरा बहुबोली बोल के जरला पर फोरन जनि डारी।
पढ़ल करीं, रफ़्ते-रफ़्ते। फेरू मिलब अगिला हफ्ते।

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