रविवार, 23 अक्तूबर 2022

भोजपुरी व्यंग्य: 23 अक्टूबर 22

शास्त्र पड़ल पंसारी की बखरा

हाल-बेहाल बा/ एन डी देहाती

मनबोध मास्टर पुछलें- बाबा! का हाल बा?बाबा बतवलें- हाल बड़ा बेहाल बा। केकर-केकर लेई नाव, धोती खोलले सगरो गांव। धोती से मतलब तन ढांके वाला पांच गज के कपड़ा से ही ना बा। धोती मर्यादा ह, इज्जत ह, प्रतिष्ठा ह, मान ह, सम्मान ह, पहिचान ह सभ्यता आ संस्कृति के। केतना लोग के धोती बांस की पुलई टंगा गइल। इ अनपढ़- गंवार के मटमैली धोती ना रहल। इ धोती बहुत झकास, चमकदार रहल। रूपांतर मे येके कहीं वर्दी, कहीं बाना कहल गइल। बाना में जे बंधि के ना रहलन, त संत, महंत, समाजसेवी, शासक, प्रशासक के बड़ा छिछालेदर भइल। बचपन में पढ़ल गइल-  महाजनो येन गत: स पंथा। मतलब, समाज के श्रेष्ठ लोग जवना राह चलें, ओकर अनुकरण करे के चाहीं। केकर अनुकरण कइल जा। धर्म गुरु, बड़ अफसर, जज, नेता, शासक, प्रशासक, पत्रकार...। दूसरा के नैतिकता के पाठ पढ़ावल बहुत आसान बा।  अपनी गिरेवान में झांकल बहुत विकट बा। बात पत्रकार बिरादरी (जाति ना पेशा) से ही करत हई। एगो समय रहे चारों ओर तहलका, तहलका। अब त- हलका हो गइल। तरुण की तरुणाई में एक से एक स्टिंग। भूचाल आ जात रहे। अब ईमानदार मीडिया ट्रायल पर कइसे लोग भरोसा करी जब अपने में छिहत्तर गो छेद बा। अवला जब अत्याचार के खिलाफ खड़ा होलिन त बला बन के पीछे पड़ेलिन। रउरा सभ की सामने उदाहरण बा कथावाचक आसाराम, स्वामी नित्यानंद, नारारण साई अइसन ऊंचा लोग भी मार्ग से भटकलें त ओछा लोग की श्रेणी में आ गइलन। हरियाणा बेहतर नस्ल की सांड खातिर विख्यात रहल। एगो डीजीपी तब कुख्यात हो गइल रहे। जब टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ के आरोप लगवले रहली। सांड नथाइल, जेल भेजाइल। पंजाब के डीजी भी अइसने एगो मामला में जेल के हवा खइले रहलन। और भी बहुत उदाहरण बा। मोटा-मोटी कहे के बा कि मन के तरंग मारि लीं। जब मन बौराई त अइसने अनैतिक आ ओछा काम हो जाई जवना से धोती टंगा जाई। मन के तरंग ना मराई त बुरा विचार उठी। बुरा विचार की चलते ही कई जने साधु-संत, सांसद-विधायक, वकील-जज, पत्रकार-संपादक, शासक-प्रशासक पर भी संगीन आरोप लगल। धोती टंगल, जग हंसाई भइल। सभ्य, शिक्षित कहाये वाला समाज के अगुआ लोग जवन बहुत ज्ञानी हवें। बहुत शास्त्र पढ़लें, लेकिन एतना शास्त्र पढ़ला की बाद भी जेकर मन भटक गइल, अहंकार कपार पर चढ़ के बोले, त बुझी की कुछु ज्ञान हासिल ना भईल बा। कवनो शास्त्र अगर पंसारी की बखरा पड़ जाई त उ पढ़ी की फारि के मसाला बेची ओकरा ऊपर बा। 
पढ़ल करीं, रफ़्ते-रफ़्ते। फेरू मिलब अगिला हफ्ते।।

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