सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

11 अक्टूबर 21 के वायश आफ शताब्दी के अंक में प्रकाशित भोजपुरी व्यंग्य

नगर -डगर की बात/एन डी देहाती

...हाथी की दातें जस, खाये के अउर-दिखावे के अउर

मनबोध मास्टर गोरखपुर कांड से लेके लखीमपुर कांड तक दुनो ओर से फ़इलावल रायता देख के दुखी हवें। विरोधी त विरोध करबे करिहन, कम से कम शासन-प्रशासन का त सच की साथे खड़ा रहे के चाहीं। गोरखपुर में कनपुरिया व्यापारी के पुलिसवाला मार के जान ले लिहलन, त जिला के दु जने बड़वर अधिकारी लोग कईसे बचाव में उतरल रहे लोग, दुनिया देखल। भला हो योगी बाबा के, जब जांच करवले त साँच उपरिया गईल। अब हत्यारन पर ईनाम धरा गईल। पुलिस तेज हो गइल। दरोगा के लईका टँगा गईलें। गोरखपुर के ममिला गर्मईले रहे तवले संतकबीर नगर में एक जने सोनार के पुलिस पीट के घाही क दिहलसि। थानेदार सहित तीन जने सस्पेंड हो गईलें। इ त बेलगाम पुलिस के काला कारनामा रहल। अब चलीं-लखीमपुर। जवन पर्यटन केंद्र भईल बा। मनई के जान के कीमत कीड़ा-मकोड़ा जेईसे समझे वाली सत्ता,करिया झंडा पर एतना कुपित भईल की कार चढ़ा के मार नवलसि। घटना की बाद उग्र भईल लोग-जेईसे को तेईसे निबटा दिहलन। दुनों ओर से आठ जने के आल्हर जान चलि गईल। जेतना मौत पर गम ना ओतना राजनीतिक बम चलल। 45 लाख के मुआवजा दिआईल। अब त साबित हो गइल कि उ किसान ही रहलें। हत्या की केस में मंत्री जी के बेटा नामजद हो गईलें। विरोधिन के ऊर्जा मिलल। एगो बात साफ हो गइल। कहे खातिर, एगो देश-एगो कानून, सुने में अच्छा लागेला। देश मे हत्या की बाद नामजद लोग जब ना मिलेला त घर के ही ना नात-रिश्तेदार के भी पुलिस पूजा क देले। गोरखपुर आ लखीमपुर दुनो घटना में पुलिस के तेवर ठंडा रहल। दुनो आरोपी रसूखदार रहलें। ओहर खाकी रहल, एहर खादी रहल। दुनों के नैतिकता गायब रहल। लखीमपुर की घटना पर सत्ता आ सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग नजरिया बा। यूपी सरकार कहति बा कि केहू के दबाव में हम कार्रवाई ना करब। साक्ष्य मिली त छोडबो ना करब। सुप्रीम कोर्ट कहत बा कि हम यूपी पुलिस की जांच से संतुष्ट ना हईं। कोर्ट त एतना ले कहि दिहलसि- का 302 में केहू पर केस लिखाला, त उ धराला की ना धराला? यूपी में खाकी आ खादी की ओर से जवन कारनामा भईल ओपर बस चार लाइन के इहे कविता बा पुलिस खातिर-

नैतिकता के बात राउर, सुनत में निक लगे,
हाथी के दांत, खाये के अउर-दिखावे के अउर।
ब्रह्मा जी जइसन रउरा चार हाथ पवले हईं,
मारे वाला अउर, बचावे वाला अउर।
हाथे में रउरी कानून के किताब बा,
पढ़े लीं अउर, पढाईलेईं अउर।
खाकी हईं त, अपराधिन के खाक करीं,
न्याय करीं, दुनिया मे बनी सिरमउर।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपन विचार लिखी..

हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद