सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

27 सिंतम्बर 21 के वॉयश ऑफ शताब्दी में प्रकाशित भोजपुरी व्यंग्य

नगर-डगर की बात/एन डी देहाती

चार डेग चोर से, चौदह शराबखोर से...

मनबोध मास्टर बिहार की दौरा से वापस अइलें। बतवलें,-बिहार में चुनाव के पुरहर तैयारी बा। चुनाव चाहे पंचायत के होखे चाहे विधायकी के। शराब सबसे जरूरी बा। शराब ना रही,त सब काम खराब हो जाई। बिहार में नीतीश बाबू शराब बंदी का कईलें, तस्करन के लाटरी निकल गईल। उत्पादन बन्द बा, बिक्री त दूना चौगुना दाम पर होते बा। हर चट्टी चौराहा , बाग बगइचा , खेते की मेड़ें पर ले शराब मिल जाई। कच्ची, देसी, विदेशी सब बिकत बा। बिहारी पियक्कड़न के व्यवस्था हरियाणा आ यूपी समहरले बा। पहिले हरियाणा वाला शराब लदल ट्रक बड़ा पकड़ात रहे। अब तस्कर सुधर गईलें? कि यूपी-बिहार पुलिस में राग ताग बईठ गईल? बिहार में भरपूर मिलता, मतलब धकाधक पार होता। आज मधुशाला के रचयिता स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जिंदा रहितन त कुछ येह कदर लिखतन- *गली गली में पीने वाले, गांव गांव में मधुशाला। कहने को हैं ईंट के भट्ठे, बिकती यहाँ रोज हाला। मिले सिपाही तस्कर से तो, करें क्या अधिकारी आला। मंगलसूत्र न बचने पाया, बिक गयी कंगन औ माला।* बिहार में शराब की बहार में यूपी के बड़वर योगदान बा। सस्ता माल कच्ची खातिर ईंट भट्ठन पर सांझ की बेरा झिल्ली खातिर लाइन लगत बा,नौसादर, यूरिया, मीठा, महुआ से आदिवासी फैक्ट्री में बनल प्लास्टिक की पन्नी में दस - बीस रुपये में सस्ता माल मिलता, बिहार जाके दूना में बिकत बा। सन 2016 से यूपी रेलता, बिहार घोटता। देसी भी बेसी बिकता। बिहार की बाडर से सटल जेकर ठेका मिल गईल, बुझी की लॉटरी निकल गईल। सांझ गहराते गहक़ी मेरड़ाये लागे लें। पुलिस पियादा के खइला के बेरा होला ओही समय मे कार की तहखाना में शराब भर के बिहार पार हो जाला। पुलिस मेन रोड पर घेरले, त तस्करवा गावें-गाईं कूदत फ़ानत हेला देलें। पगडण्डी घेरले त नईये से नदी पार करा देलें। बिहारी पियक़्क़डन के दुआ लगत बा। तस्करन के खूब तरक्की होत बा। देश के बड़वर वैज्ञानिक लोग जेतना खोज ना कईलें होई ओतना त शराब तस्कर कईलें। टैंकर की भीतर टैंक। ऊपर से खोलब$ जरल मोबिल निकली। ठेहा पर पेनी के टोटी खुली त हलाहल। ट्रक देखला में खाली दिखी, चेसिस में एक फुट ऊंचाई के तहखाना में शराब भरल मिली। बिहार की बाडरन के थाना चाहे यूपी के होखे चाहे बिहार के, शराब से अड्सल बा। थाना की मालखाना में जगह ना बा, पूरा थनवे गमकत बा। जिया-जंतु सब पीके पवित्तर होता। पहिले शराब पकड़ात रहे, अब कमाई के जरिया भईल बा-
चार डेग चोर से, चौदह शराबखोर से।
चौहत्तर डेग दूर रहीं, रउरा चुगुलखोर से।
कलम की जोर से, तस्कर डेरात रहलें,
अब सब काम होता, पईसा की जोर से।।

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