शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

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वोट ओटिया के सब् पटिया के.........
N.D.Dehati 
उत्तर प्रदेश में पचांयत महासग्राम चलत बा। बड़ हो चाहे छोट, दूब्बर हो चाहे मोट सब लोग हाय कुरसी-हाय कुरसी करत बा। वोट ओटिया के , सबके पटिया के सब बनल बा प्रधान, प्रमुख आ जिला पंचायत अध्यक्ष। जन सेवा की नाम मेवा काटे के खातिर लोग उतर गइल बा। पढ़वइन का भी प्रधान भावनत। नोकरी ना मिली त प्रधानी कौने नोकरी से कम बा। पांच साल में कमा के लाल हो जइहन। उत्तर प्रदेश में बड़े-बड़े रथी-महारथी लोग भी अपनी कुल- परिवार की लोग के उतार देले हवें। उनकर विचार बा हम दिल्ली-लखनऊ के रीजनीति ककरी त घर परिवार के लोग काहें बेरोजगार रही। उहो लोग पद-प्रतिष्ठा, रुपया-पइसा कमाये खाये की जोगाड़ में लाग जाउ। बड़े-बड़े लोग क संतोष धाराशाही हो गईल बा। माननीय कहाये वाले लोग अपनी मेहरी, बच्चा, चच्चा, भाई-भतीजा के पंचायत चुनाव में उतार देले बाड़न। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बीर बहादुर सिंह के बेटा प्रदेश में वनमंत्री हवन। एतना बड़वन पद रहले के बाद भी फतेह बहादुर सिंह जिला पंचायत सदस्य के चुनाव फतह कइल चाहत हवे। उ अपनी मेहरारु साधना सिंह के चुनाव लड़ावत हवें। सदस्य हो गइल के बाद जनसेवा के क्रेज अउर बढ़ि जाऊ। वनमंत्री से वित्तमंत्री कम ना बाड़न। लाल जी वर्मा अपने मेहरारु शोभावती के अंबेडकर नगर से जिला पंचायत सदस्य के चुनाव लड़ावत हवें। जीत गइल के बाद ललकी बत्ती उनक शोभा बढ़ाई। वन आ वित्त से कम उर्जा मंत्री भी ना हवन। अपनी घर-परिवार के सजो पुर्जा के कवनो ना कवनो पद पर बइठवला में लागल हवें। रामवीर उपाध्याय अपने अपने भाई विनोद उपाध्याय के मेहरारु सरोज उपाध्याय के जिला पंचायत के चुनाव लड़वावत हवें। दूसरा भाई रामेश्वर उपाध्याय जवन ब्लाक प्रमुख रहलन फिर से बीडीसी हो गइलन निर्विरोध, मतलब बिना विरोध के। रामवीर उपाध्याय के मेहरारु खुद सांसद बाड़ी। यह प्रकार से पूरा उपाध्याय परिवार सेट बा। कुशीनगर के विधायक आ बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आ प्रदेश के केबिनेट मंत्री श्वामी प्रसादज केहू से पीछे ना हवन। उ पूरा मौर्य वंश के स्थापना में लागल हवन। उनपर भतीजा प्रमोद मौर्य आ पतोहु पुष्प लता प्रतापगढ़ से जिला पचांयत के चुनाव लड़त हवें। मौर्य जी के विरोधी लोग कहत बा, उनकी परिवार के दर्जन भर लोग पचांयत चुनाव में बा। रिश्तेदारी-नातेदारी की लोग के जोड़ दीहल जाव त अर्द्धशतक हो जाई। अरे भाई। लोकतत्रं में सबका लड़ला के मतलब सेवा कइला के अधिकार बा। कुरसी मिलते मान-सम्मान, सरकारी धन सुलभ हो जाई। सब लागल बा वोट ओटिहवला में। चुनाव में विधायक, मनिस्टर, सांसद अइसन बड़ पद बइठल माननीय लोगल के प्रतिष्ठी लागल बा। राजतत्रं त समाप्त हो गइल लेकिन कई जगह राजघराना के राजपरिवार चुनावी महासंग्राम में उतरल हवें। कुशीनगर  की बरियारपुर में एक जने कवि रहलन घरीक्षण मिश्र। उ सरगे गइलन। लेकिन पचांयत चुनाव पर जवन कविता सुना गइलन उ आज सोरहो आना सच उतरत बा—
बेल काटि क बइर बोआई, सोचल गइल लाभ के कार।
बड़-बड़ मनई बाथ जोड़ले, जन सेवा खातिर तैयार।।
यह जनसेवा में मिसिरी बा, मलाई बा, दाम बा, काम बा, मान बा, सम्मान बा छोट-मोट कुरसी से सेवा कइला की बाद बड़ सेवा के रास्ता साफ हो जाला। जिला पचांयत सदस्य की पद के अदना मत समझी। इ मिनी विधायक के पद हव। आ अध्यक्ष हो गइला के बाद पूरा जिला के मालिक। ललकी बत्ती, हूटर-शूटर मुक्त। येह लिए आई पूरा मनोयोग से चुनाव लड़ी आ लड़ाई। वोट ओटिआई, सबके पटिआई, आ जीत के रउरा सभें ऊपर जाईं।      -

N.D.Dehati

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