मंडल में इंसेफेलाइटिस की कहर को रोकने के लिए गांवों-शहरों में लगे छोटे हैंडपंप उखड़वाकर थानों में जमा होंगे। मंडलायुक्त के. रविन्द्र नायक ने मंडल के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि हैंडपंप उखाड़ने से यदि कोई रोकता है तो उससे बलपूर्वक निपटा जाए। इसमें संदेह नहीं है कि छोटे हैंडपंपों के अशुद्ध पानी के कारण जलजनित संक्रामक रोग फैल रहे हैं।यदि ग्रामीण अथवा शहरी क्षेत्र में अशुद्ध जल पीने से बीमारी फैलती है तो सम्बंधित अधिकारी दोषी माने जाएंगे। मौत होने की दशा में उनके खिलाफ धारा 304 ए का मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाए। साथ ही सम्बंधित ग्राम प्रधान को पदच्युत कर दिया जाए। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में खंड विकास अधिकारी व नगरीय क्षेत्र में अधिशासी अधिकारी से अनुपालन कराने को कहा है। उन्होंने स्वीकृत इंडिया मार्का हैंडपंपों को युद्ध स्तर पर लगाने का निर्देश दिया है।
मंडलायुक्त महोदय हम आप को बतावे - जब यही चापाकल आया तो लोगो ने कुए का पानी पीना छोड़ दिया . गावो में सबके यहाँ एक्वागार्ड या इंडिया मारका नहीं है . चापाकलो को उख्द्वाकर थाने में जमा करा देगे तब तो गरीब आदमी पानी बिना ही मर जायेगा . आप को पता होगा आप के ही परीछेत्र कुशीनगर में प्रशासनिक संवेदनहीनता से मुसहर बस्तियों की हालत इतनी बिगड़ गयी है कि इन्हें न भरपेट भोजन ही मिल पा रहा है और न ही काम।गरीबों को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी कठिन है। ऐसे में घोंघा भूनकर भूख मिटाना इनकी नियति बन गयी हैं। हम तस्वीर दिखा रहे है दुदही ग्राम पंचायत के टोला महियरवां मुसहर बस्ती की । जहां कुपोषण के शिकार बच्चों की मौत को अज्ञात बीमारी माना जा रहा है।भूख व गरीबी के आगे बेबस नरेश व उसकी भतीजी पोखरे व नहर के किनारे से लाये घोंघा को तोड़ कर उसमें से मांस निकाल कर खा रहे है पूछने पर जवाब दिया कि खाने को रोटी नहीं है तो क्या करें? मुसहर बस्ती में लगा इंडिया मार्का हैंडपम्प गंदगी व चारों ओर पानी से घिरा होने के कारण पानी लाने कम ही लोग जा पाते हैं। हमारे मित्र पत्रकार अनिल पाठक ने जो अपनी रिपोर्ट भेजी है, उसे अखबार ने २६ अगस्त २०११ को प्रमुखता से प्रकाशित किया है, गरीब घोंघा भूनकर भूख मिटा रहे है, आप चापाकल उखडवा कर थाने में जमा करायेगे . इस देश में बहुत अनाज भण्डारण के अभाव में सड़ रहा है, गरीब भूखो मर रहा है, लगता अब पानी बिना मरेगा .
-नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती
,गोरखपुर