सर्व शिक्षा अभियान की नाम पर सरकार बहुत पइसा ठेलले बा। एकरा बावजूद भी सरकारी स्कूलन में पढ़ाई लिखाई में सुधार ना भइल। एगो पत्रकार भाई सरकारी स्कूल पर पहुंच गइलें शिक्षा-दीक्षा के जायजा लेबे। माट साहब का बर्दास्त ना भइल। सब बात भोजपुरी कहावत में कहि दिहलें- सरकार के मिड डे मील, स्कूल के खिचड़ी। उ खिचड़ी जवना के चार यार, दही पापड़ घी अंचार। एइजा चारों के अकाल। प्रधानजी लोग की हाथे सब व्यवस्था बा। दाल के पानी, पियरका रंग, खींचे लक्ष्के माड़े संग। इहो रोज ना बनत बा। कबो घानी घना, कबो मुट्ठी चना, कबो उहो मना। अबरे के मेहरारू गांव भर के मौजाई के हाल बा। जेही स्कूली पर आवता धमका के चलि जाता। लक्ष्का लोग करिया अक्षर भइंस बरोबर भले ना जनलें थरिया लेके पहुंच जात हवें। स्कूल के हाल उ बा सेतिहा के साग गदपुरना के भाजी। नेटा बहावत, जंघिया सरकावत लक्ष्के चलि आवत हवें। प्रधान जी आन की धन पर कनवा राजा भइल हवें। पांच गो रसोइया तैनात क देले हवें। बुढ़वा भतार पर पांच टिकुली। सजो मजा प्रधान जी मारत हवें, आ चेकिंग -ओकिंग में तनख्वाह कटत बा मास्टरन के। खेत खाए गदहा, मारल जाव जुलहा। हम तù गइयों हूं, भइसियों हूं। दस्कतिये ले हाथ बा। कोदो देके ना पढ़ले हई लेकिन हई जवन दूसरे के कमाई पर तेल बुकवा लगत बा, भगिमाने के भूत हर हांकत बा। गांव वाला चुन के बइठा देले हवें अइसन बेह्या के की ओकरा पीठी रुख जामल, उ कहे कि छांह भइल। चार आना के जोन्हरी चौदह आना के मचान। लक्ष्कन के ठेकाने नेइखे आ भवन पर भवन बनवाबति बा सरकार। गांव वालन के हाल उ बा कि एक तù बानर दूसरे मरलसि बिच्छी। तोहं लोगन फोटो खींचे चलि आवत बाड़ù आ पूरा गांव तमाशा देखे बटुरा जात बा। जेतने मुंह ओतने बात। देश में चारों ओर भ्रष्टाचार बा लेकिन तोहं लोगन का इसकूलिए लउकत बा। मुर्गी गइली बंसवाड़ी, बुझली वृंदावन आ गइली। इ शिक्षा विभाग अथाह बा। बड़- बड़ ऊंट दहाइल जा , गदहा पूछे केतना पानी। माट साहब के बात सुनि के पत्रकार भाई मुसकी मारत चलि दीहलें। पाड़े बाबा क कवित्तई चालू हो गइल-
गुरुजी समायोजन में, शिक्षा मित्र आंदोलन में। चूल्हाभाड़ में गइल पढ़ाई, लईका जुटलें भोजन में।। गांव-गांव स्कूल खुलल, पइसा आइल एतना। ना सुधरल, कब सुधरी,सर्व शिक्षा कù सपना।।
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती
रास्ट्रीय सहारा , गोरखपुर
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